नूह की शायरी | Nooh Ki Shayari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.34 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नूहर को शायरी ०
मुद्दब्यत का अच्छा नतीजा सन देखा,
न देखा न देखा न देखा न देखा।
हजारों. अदाएँ हजारों जफाएँ,
तुमे देखकर हससे क्या क्या न देखा |
वो बीमारे उल्फत को देते है ताने,
कि जेसा सुना हाल बेसा न देखा ।
यॉही दिल ॒ मुझे दे दिया उससे वापस,
नसोचा न समस्या न जॉचा न देखा ।
कभी लुत्फ उठाए कभी गम उठाए,
खुदा की खुदाई से क्या क्या न देखा |
सिली देखने के लिये सुमको ऑखे,
सगर सेसे इस पर थी झस्ला' न देखा |
जो सुरत के चच्छे नजर आए ५सको,
उन्हे सेसे सीरत' का अच्छा न देखा ।
चलो “नूह” तुमको दिखा लाएं तुसने,
न सयखाना देखा न ब॒ुतखाना देखा |
र न शरद
हरदम जिसे सजारा हो अपने हबीव का,
सी से ससीब एक हे उस खुश नसीब का |
दो और हे जो मरते है श्ौरों के वास्ते
दिन्न तुमको ठे ये दिल॒ नही सेरे रकीब का ।
ऐ आह पहले चख से दुश्मन को फेक दे
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वो दूर का निशाना है ये हे करीब का ।
ये कह के वक्ते नजा वो बाली से उठ गए
(१) हृर्गिज, । र) श्रादत, (३) ढोस्त, (४) दुश्मन, (४) आखिरो
समय, ६) सिराद्दा ।
नल!
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