बिस्मिल की शायरी | Bismil Ki Shayari

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bismil Ki Shayari by कविवर बिस्मिल इलाहाबादी - Kavivar Bismil Elahabadi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कविवर बिस्मिल इलाहाबादी - Kavivar Bismil Elahabadi

Add Infomation AboutKavivar Bismil Elahabadi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( |] 1 | | नि काना यह सितम तुरफ़ा सितम है कि वह फ़रमाते हैं ... तुम सही जल्म मगर जुल्म का चचों न करो। जिससे झगड़ा हो उठे जिससे ज़माने में फ़िसाद ऐसे मज़मूं कभी अख़बार में लिक्खा न. करो। तन्दुरुस्ती की तमन्ना _ है झगर ऐ बिस्मिल् दिन को ० सोया न करो रात . को जागा न करों है के के... कं पर थादद बहरे ग़मे उलफत की कोई पा. न सका जो हुआ ग्रक़नं किनारे पे वदद फिर आ न सका । उसको समभकाते हो किस वास्ते तुम ऐ बिस्मिल . कि. जमाने में जमाना जिसे समका न सका के के... कं बहरे-दइस्ती में क़ज्ञा के घाट उतरना देखिए के मर रहा हूँ भाइए अब मेरा. मरना देखिए | फ़लसफ्ी की अक्॒ गुम है वहम भी मज़बूर है ख़ाक के उारों का मिट्टो में सँवरना देखिए । घर कट फू बैठे कुरसी पे तो करने लगे स्टूल की बात दर याद॒ कालेज में उन्हें आगई स्कूल की बात । दर भी बुलबुले बेकस को अज़ीयत होगी ही घर में सैय्याद के छेड़े न कोई फूल .की बात । नडूंवा . २--समुद्ररूपी जीवन ३--दाशनिक ४--दुख |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now