ज़ख्मी पंजाब | Jakhmi Panjab

Jakhmi Panjab by लाला किशन चंद - Lala Kishan Chand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥। मज्लाचरण || नट ( सूच घार ) व नटोका परमात्मा को स्तुति करते हुए दिखाई टेना | गाना । चरण शरण तुमरों सुखटाई । सकल जगत के भ्राप सद्दाई ॥ दख सड़ट के ऋरशाडार-सब के टाता डॉ उदार । कुट्रत नुद्रत पर निसार ॥ मत. विश्वासो-असत विनशो-हछो सुखराशों । सष्टि सुन्दर सरय रचाई ॥ नटो-प्राथनाथ ' आल इस रड़ भूमि पग कोनसा नाटक दिखलाश्ोगी ? _... नट-प्रिये ! उस नाटक का नाम लेते मेरो ज़बान धर्रातो क्या पूछतो छो, द्खको शिलासे भ्रात्मा पिसो जातो है । खुशी का य नद्दों पग्योग गमका यु फसाना | । हमें नाटक यछ करुणामय सभासदाकों दिखाना है ॥ कि जिससे बे तरसको रछम को आदत सिखाना है । जो सड् दिल हैं उन्हें भो खून के आंसू रुलाना है ॥ नटो-मन को आजादो को गमको बेड़ियोंसे जकड़ने वाला दुखके फोलादो पंजैसे अन्सरात्मा को पकड़ने वाला व/् ऐसा कौनसा इतिहास से. जिसका नाम लेनेसे प्ले है आपको सूरत उदास है ?




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