भारत के महान अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद | Bharat Ke Amar Senani Chandrashekhar Azad.
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.6 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बदगेसर आज 13
कपने गाँव के धाम हो कहीं पोहट्मेन बन गये थे । दस पद पर उन्होंने
लगभग दो वर्ष तक काम पिया । बाद मे उन्हें निमोनिया हो गया और
उन्होंने पद से स्यागंपत्र दे दिया । सिडिएसा की गई, किन्तु कोई परिणाम
न निकला तथा सन् १925 में उनकी मुत्यु हो गई। इसके बाद वह अपने
माता-पिता बी घवेली सन्तान देप रह गये। सम्भदत्त, उनकी वौई सगी
बहिन नहीं थी माई पी मुन्यु के सपय आज़ाद लापता थे ।
शिक्षा-दीक्षा :
घोर गरीडी के अरण पर्डित सीताराम तिवारी अपने पुत्रों को शिक्षा
देने मे समर्य मही थे । गाव की हो पाध्याला में उनकी शिक्षा आरम्भ
हुई। श्री मन्नयनाय गुप्त ने लिखा है कि श्री मनोद्रलाल जिवेदी नामक
एन सम्जन जो विसी सरकारी पद पर यार्येरत थे, उन दिनो सुखदेव तथा
चाट्रदोसर धादाद वो उनके भर पर भी पढ़ाते थे । उन समय सुखदेव की
अदस्था तेरइ-चौदह वर्ष तथा आउाद की झाठ वर्ष थी। श्री त्रिवेदी के
बन को उद्घत करते हुए उन्द्ोंदे लिखा है--
“जद सुखदेव की उम्र तेरह-घौदह और भन्द्रदयासर को सात-आठ
वर्ष की थी, हव मैं इन्हें पढ़ाया बरता था । आजाद बचपन से ही न्याय-
प्रिंय और उच्च दिचारो घाले थे । एक वार मैं पढ़ा रहा या, तो जात-बूम-
कर मैंने एक शब्द गलत बोल दिया । इस धर आज़ाद ने देह बेत, जिसे मैं
उनवों पढ़ाने में डराने और धमकाने को अपने पास रखता था, उठाया
लौर मुक्के दो बेत मार दिपे। यह देव निवारी जी दौड़ और ' उन्होंने
लाड़ाद को पीटना चाहा, लेनिन मैंने उन्हें रोक दिया । पूछते पर आजाद
का उत्तर या--“हमा ये गलती पर सु ओर भाई को ये मारते हैं, तो
इनकी गलती पर मैंन इन्हें मार दिया ।”
इसके पश्चात निवेदी महोदय का स्थानान्तरण नायपुर तहसील हो
नया, तब भी आज़ाद के धर पनका दाना-जाना बना रहा । चार-पाँघ बर्प
बाद उनका स्पानान्तरण पुन भामरा के पास हो सट्टाली गाँव में हो गया,
तब श्रिवेदी जी ने आज़ाद को अपने ही पाप्त रसखरर पढ़ाया, बयोजित _
सोदाराम ठिवादी थी स्थिति दष्चे को पढ़ा सबने थी नहीं थी । आउाद
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