भगवान् गौतम बुद्ध | Bhagwan Gautam Budha
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.15 MB
कुल पष्ठ :
71
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about स्व. पं. ईश्वरी प्रसाद शर्मा - Sw. Pt. Ishwariprasad Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). १० भगवान् गोतम बुद्ध
कि लड़कपन से दी उनके सन में कितनी दया भरी
हुई थी । त
इसी तरह एक दिन बषा-ऋतु के झारभ में जब कपिल
वास्तु के सब लोग बढ़ झानद के साथ पइलेपहल खर्तों में
इल चलाने के लिये श्राए, तब अपने पिता के साथ-साथ
बालक राजकुमार सिद्धाथ भी वहाँ आए । इस अवसर पर
कपिलवास्तु में बड़ा उत्सब होता था, जिससे राजा-ओजा'
सभी लोग भाग लत थे । राजकुमार ने देखा कि दल चलाने
स बहुत-से कीढ़-मकाड़ों के रहने का स्थान नष्ट हो गया
ओर व इधर-उधर भागे फिरते हैं । झासमान में कितने ही
पची उन कीट-पतंगों का खाने के लाभ से मंडरा रहे थे ।
यह द्खकर कुमार को बड़ा दुःख हुआ कि इस प्रकार एक
प्राणी दूसर का प्राण लेने के लिये उतारू हो रहा हे ।
सब 'ानद-उत्सव की बातें हवा में उड़ गई । उनको केवल
यद्दी सोच सताने लगा कि क्यों इस तरइ एक जीव दूसरे
का नाश करता हैं । जब उनसे नहीं रहा गया, तब उन्दोंन
अपन पिता स कहकर उत्सव बंद करवा दिया |
सिद्धाथ के लड़कपन की इन दोनों घटनाओं से मालम
हाता दे कि वे घोर-श्रार लड़कों की तरह केवल खेल-कूद,
मोज-बहार शार झानदृ-उत्सव के दी प्रमी नहीं थे । वे न
शम्य अभि
हरि ्द
User Reviews
No Reviews | Add Yours...