आत्म साधना संग्रह | Aatm Sadhna Sangrah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नद्ात्स साधना संग्रदक् ... ... ४. को. प्राप्त करता है । पुण्य तत्त्व मोक्ष मार्ग में सहायक ह। . - जो पुण्यत्मा दुःखी जीवों को जीबनें टिकानें को श्रावईयक (स्तुएँ जेसे-सात्विक श्राह्मर पानी वस्त्र और श्राश्रय का दान हर दान्ति पहुँचाते हैं सेवा करते हें प्रभु. भंविंत गुरुवस्दन वर्म प्रचार एवं घर्म प्रभावना करते हैं भहिसा घ्म का प्रचार करते हैं वे संम्यग्दर्शन की प्रतिष्ठा करते हैं । ये सभी .पुण्यात्मा हम _. ध-पांचवा पांप तत्व पुण्य से उल्टा रुख लिये. हुवे. । यह हिसा भूठ चोरी मेथुन परिग्रह श्रादि १८ भेद से .. बंधता हैं । इसके परिणाम स्वरूप नाना प्रकार के दुःख-वध बन्घन रोग चोक भय दरिद्रता जड़ता ईष्ट वियोग . भ्रादि कट्फल होते हैं । हिसक चोर जार क्रोधी लोभी . कपटी लेगी चुगल खोर भूठा कलंक लगाने वाले ऐसे. लोग पांपी कहे जाति हूं । ः ६-ग्रास़वं तत्व-यही बन्ध का कारण हे। बिना . भ्रास्रव के बंस्ध नहीं- हो सकता । हर्म यदि श्रपनें घरके दर- बाज खुले ही रखदें तो उसमें हवा धल श्रौर . कंचरा तो धायगा ही साथ ही कुत्ते विल्‍्ली भी घस जायेंगे श्रोर कभी चोर. भो घुस सकते हूं । इस घुसनें को ही श्रासव कहा गया। इमने प्रपनी इच्छाओं-मन बचन और . धरीर - के .योगों को - भ्नियन्त्रत रख कर खुले छोड़ दिये । इससे चारों. ओर बे भाव आरहा.हूँ ।दुश्यमान्‌ जगत्‌ू की भिन्न भिन्न वस्तुओं हो प्राप्त बरने की इच्छाएँ प्रयास वासना पर काबू नहीं




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