मैथिली - साहित्य (संक्षिप्त परिचय ) | Maithili Sahitya (sankshipt Parichay)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.63 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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दिका नाम आदर से लिया जाता है । इन लोगों की रचनामों में
उय की दृष्टि से भेद कम हू । हाँ, विपय के उपस्थापन में भेद अवश्य
उगोचर होता हूं ।
सन्नहुवीं शताब्दी से मे धिली-साहित्य में नाटकों का समय भाता हूं ।
हवी शताब्दी से लेकर उत्नीसवी शताब्दी तक अनेक नाटक लिखे
! । नाटकों के केन्द्र मुख्यत: तीन थे-मिधिछा, नेपाल तथा
साम। स्थान-भेद से इनमें सिन्नतना मी परिलक्षित होती हू 1
टर्कों का विषय प्रचानत पौराणिक रहा तथा लेखकों में उम्रापति,
नपाणि, हर्पनाथ, जगज्जोतिमत्ल तथा शकरदेव के नाम प्रघान हैं ।
टक पर श्री विनोदजी ने काफी धर कादा डाला है । ग्रन्थ का एक तिहाई
शनादकों से ही सम्बन्धित है । ( देखें प्र० ६७ से १३३ तक । )
मे धिली-साहित्य का श्राघनिक काल मयवा पुनरुत्यान काल कवि
र चन्दा झा से मारम्म होता है । वे मेंथिलो-्साहित्य के “व्यास कह
ति हूं। 'मिथिला-मापा-रामायण' की रचना कर इन्होंने अपने को
मर बनाया । विद्यापति के पश्चात् इतना यदषस्वी दूसरा कोई कवि
टी हुआ । मेधिली को लोकप्रिय बनाने म इनका योगदान किसी से
क् कम नही हू । ये नवीन यंग के प्रवर्तेंक कहे जाते हूं । मेधिलों में
स्कृत-वहुढा रचना अपने चरम तक पहुँच चकी थी, जिसका परिणाम
हु हुआ कि यद्द एक वर्गे-विशेष तक सीमित हो गयो थो । चन्दा झा
मेथिली को इस वन्घन से मुक्त किया । इन्होने जन-साबरण को
[न में रखकर अपनी लेखनी उठायी । स्पगार-रस सम्बन्धी कविता
की बहुत कम है । इनके गोत मुख्यव सीताराम सम्बन्धी अथवा
व-विपयक हूँ, जिनमें भक्त-दुदय का उद्गार ही विदाप हूं ! स्मं-
1 के ह्लास से विपदृग्रस्त देश-दशा-वर्णन इनका मत्यत्त रोचक
पा हं। कट्टी-कह्टी मानव-जीवन की नीचता का वित्रण भी सारमिक
पराहं। छन्द में ये निष्णात थे, जिसका परिचय हमें शमायण
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