हिन्दी कहानियां | Hindi Kahaniyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(5३ ) गए कि जिनसे चरित्र सम्बन्धी तमाम कमं-प्रेरणाएं एक ऐसे सन्घि- स्थल पर एकीकृत हो गई' जिनके सहारे उन गूढ़ चरिन्नों का सनो- विइ्छेपण प्रस्तुत किया गया । अन्य; यशपाल, भइक, पहाड़ी आदि युगीन प्रद्नत्तियों के कहानी- कारों की विशिष्ट कछाओं के फल-स्वरूप कथा-विधान की शेली में नए नए रूपों और दस्त-छाघव के परिचय सिले । कहानी की निर्माण-द्ोछी मोर रूप-विधान में अपूर्व ढंग का बैविध्य, नवोनता आर व्यापकता आई । प्र प्रेमसचन्द ने सामाजिक कहानियाँ तो लिखीं और ध्यंग्य भी किया पर उनकी कहानियों में विद्रोह और कटुता नहीं है। इस तरदद की कहानियाँ *'उम्', त्रहषभचरण जैन, चतुरसेन शास्त्री, चन्द्रकिरण सौन- रिक्सा भादि बाद के लेखकों द्वारा लिखी गई । चन्द्रकिरण सोनरिक्सा की *कमीनों की जिन्दगी”, असतराय की “इतिहास, उम्र की “हमारा समाज भइक की 'चपत” और रांगेय राघव की “साम्राज्य का वैभव आदि कहानियों इस कोटि की उच्कृप्ठ रचनाएं हैं । आज के जन-जीचन को प्रतिबिस्त्रित करने वाले कहानीकारों में प्रमुख हैं यशपाल ओर रांगेय राघव | इन्हीं के साथ हम एक उदू' कहानीकार का नाम ले सकते हैं जो धीरे धीरे हिन्दी के सम्मुख आते जा रहे हैं, ये हैं किशन- चन्द्र । इन जन कलाकारों की लेखनी आज उस खाई को पाटती जा रद्दी द् जो अब तक सादित्यिक कथाओं और जन-कथाओं के बीच रददी है ।'यशपाल और अइक दो अछठग-अर्ण दिशाभों में पहुँचे हैं; अकक 'जी ने रोमांस से रंग लिया है और यशपाल ने राजनीति से । यद्यपाल की कहानियाँ घटना-प्रधान हैं जिनमें कद्दी तो परिस्थितियों की कट्ट जालोचना है और कहीं सिद्धान्तों का प्रतिपादन । 'लास्मिक प्रेम” आजकक के कलाकारों का मजाक है तो “मन के न्रगाम” में सस्कारों




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