काव्य प्रकाश | Kavya Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.95 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज - Mahamahopadhyaya Shri Gopinath Kaviraj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काव्यप्रदादादीपिका । पथ
पतनीपम् ॥
एचसस्प प्रयोजनसुकत्वा कारणसाइ--
शक्तिनिषुणता लोकशाख्रकाव्याद्यवेक्षणात् ।
काव्यज्ञशिक्षयाउम्यात इति हेतुस्तडुद्धवे ॥ ३ ॥
दाक्ति। कवित्वचीजरूप। संस्कारविशेषः, यां
सददां दत्तमुपादेयमनुपादेयश्वेत्येतावता वैपम्यद । आनन्दाजु+
मूतिरपि कवे! स्वकाव्यपर्याठोचन।5नन्तरें जायमाना न करणों-
पाधिकृता किन्तु भावनोपाधिक्रतेति भाव कत्वांश एवं निशतिप्यते,
काव्याज्रोपाज्नदियाविज्ञानविद्दीन।नां कवीनामपि छूमसिद्धसमत्र-
व्युत्पात्तिदशावदादास्वादमकर्षाचुद यस्यालुमी यमानत्वादू । ख
हृदयस्पेति-प्राचीनवासनासवर्षिता( १) द्लिपाज्]विद्यानिषुण-
तोपस्कृता चुद्धिहेदयं तद्ठत इत्यये। । करोतीति मतिक्मपढं
सम्बन्ध । सर्वयेति-शेपा विद्यास्तदडनत येवो पादे य(!)मिर्पथे! ।
तत्र कहूँ दिचारयितुश्वेति शेपः । यतनीयपमित्याप्रिमकारिका-
संज्ञतिस्चनमु(२) । तयाहि-पायन्तिकमयोजने क इवाइत्य (३)
व्यापारे- सम्भवत्यनागतत्वाद् ;'तस्माचलिवांहको पादानम्रेव तन्र
यहना।, अतस्तत्र यतनीयमिति ।
(११ लचलितेति चित पाठ: | संबान्घितों 'क* पाठ ।
(रस पएतच्चापाततः .. काव्यप्रकाददिवेककार सान्धिविग्रादिक
श्रीघरमजुखत्य । मतमेतत् खबष्डितं सस्प्रदायप्रकादिन्यामू ।
(३) झाइत्य मिलित्वा ।
९ का० प्र०
User Reviews
No Reviews | Add Yours...