यज्ञोपवीत संस्कार | Yagopaweet Sanskar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.57 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थीकोतरामाय नमः ।
धर्म आर सन्मागंका स्वरूप।
नगर 1 हनन
वेद: घुराण #स्मृतयश्चारित्र च क्रियाविरिः
मन्त्रारच देवतालिंगमाहारादारवशुद्धय: ।
एतेथां यत्र तस्वेनप्रणी ता: परमर्षिणा
सघम सच सन्पागस्तदा मासाः स्पूरन्पया ।
भावाय जिस भब्यजीव की गाढ़ अद्धा-प्रथमानुयोग 'यर-
शानुयोग करणानुयोग ओर द्रव्यानुयोग इन चार वेदों पर है।
समस्त वेदों को प्रमाणरूप सत्य मानता है । वेदों में से एक अक्षर
दर भी जिसका संदेद सब था नहीं दे । पुराणों को जो जिनागम
समझता दै । स्मृतिग्रन्थों को आज्ञा विधायी ( स्पतिप्रन्थ सब ध्ोस
सब काल में अविष्छिन्न रूप से नियमित रूप रहते हैं ) शाख्र सम-
झता है जो चारित्र का पालन करता दै। जो भोजनझुद्धि, पिंडशद्धि
यज्ञोपवीतादि संस्कार की क्रियाओं का पालन करता डे। मन्त्र से
अस्सृतिप्रन्थ से संहिताप्रन्थ--भद्बाइसंहिता मादि सब प्रन्थ,
आग बर्णाचारप्रन्थ--प्रिवर्णिकाचारमादि मान्य प्रन्थ
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