श्रुति - रत्नावली | Shrooti - Ratnawali

Shrooti - Ratnawali by भोला - Bhola

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शास्तिपाठ श्रुतियाँ हर ड* हमारा कल्याण हो, मन पवित्र कीजिये । 5” शान्ति: शान्तिः शान्ति: ॥८॥ ट* हे देवो ! हम कानोंसे कल्याणरूप वचन सुनें । ध्यान करने- वाले हम नेत्रों से कल्याणरूप देखें ! स्थिर अंगोंद्ारा सूचम श्रुतियोंसे स्तुति करें । हे देवो ! झायुभर दम हित प्राप्त करें । महान्‌ कीतिवाछा इन्द्र हमको झानन्द देवे । विश्वका जाननेवाछा सूर्य हसको आनन्द देवे । अकुण्ठित गतिवाला गरुइ हमको आनन्द देवे। चृहस्पति हमको आनन्द देवे। ठे* शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥8॥ र जो श्रह्माको पूर्वें धारण करता है और जो उसके लिये वेदोंको देता है, थात्मबुद्धिके अकाशरूप उस प्रसिद्ध देवकी शरणणें मैं मुसुह् जाता हू । ड* शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥१०॥ अऑप्र्धिलि८चिि-




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