स्त्री दसम ग्रन्थ साहिब भाग ४ | Stri Dasam Granth Saheb Part 4
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39.85 MB
कुल पष्ठ :
732
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७ ) सोधाग्य की बात है कि भारत सरकार के राजभाषा विभाग (गृह मत्तालय) तथा शिक्षा एवं संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रभाषा ह्िन्दी-सहित सभी भाषाओं की समृद्धि भोर ब्यापकता के लिए एक जोड़लिपि नागरी के प्रसार पर उपयुक्त बल दिया ।. उनकी उल्लेखनीय सहायता से हमको विशेष बल मिला है और उपर्युवत सबके फलस्वरूप गुरमुखी-- श्री दसम गुरूग्स्थ साहिब की चौथी सेची का प्रकाशन प्रस्तुत वर्ष में सम्पूर्ण हो सका ग्रन्थ चार सेंचियों में सम्पूर्ण हो गया 1 विदित हो-- विदित हो कि पुत्र-जन्स पर उसका नाम लखपति साह रख देने से वह लखपती नहीं बन सकता वह दस-बीस लाख का स्वामित्व पाकर ही लक्षाधीश चरितायें होगा । राष्ट्रभाषा की स्थापना तो हो गई परन्तु अभी वह इस रूप में चरिताथे तो नहीं हुई। भारत में अधिक फंली होने टी के एक मात्र कारण से प्रचलित हिन्दी (खड़ी बोली) को राष्ट्रभाषा और परम वैज्ञानिक भारतीय लिपियों में से सर्वाधिक प्रसरित लिपि नागरो को उनकी श्रतिनिधिस्वरूपा होकर राष्ट्र का एकात्मभाव सेव की भाँति दृढ़ बनाये रखने के लिए सेवा सौंपी गई । अतः प्रथम कतेंब्य है राष्ट्रलिपि और राष्ट्रभावा को ने केवल भारतीय वरन विश्व के बाइमय के साचुवाद लिप्यन्तरण द्वारा भर दिया जाय लखपति साहू को वस्तुत लक्षाधीश बना दिया जाय । विश्ववाइसय से निःसृत अंगणित भाषाई धारा पहुन नागरी पट सबने अब सूतल-ध्रसण सिचारा अभर भारती सलिला को गुरमुखी सुपावन धारा । पहन नागरी पट सुदेधि मे भूतल-स्रमण बिचारा ॥ दिनाक १५-१०-१९८४५ -नानस्दकुमार अवस्थी (पदाथी) मुख्यन्यासी सभापति भुवन चाणी ट्रसट लखनऊ-२५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...