आधुनिक भारत में मुस्लिम राजनीतिक विचारक | Aadhunik Bharat Me Muslim Rajanetik Vichar

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Aadhunik Bharat Me Muslim Rajanetik Vichar by एम. एस. जैन - M. S. Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६५७ ई० से पूर्व का राजनीतिक चिन्तन दे एकता को पुनः स्थापित करने का प्रयरन वरे । उन्होंने इस्लाम वी दि सिचाहसपी शाफी सोतजिली मशरी मालिकी तथा हंवली-विचारघाराशों को महत्त्वपूर्ण बताया लेकिन सबको कुरान भर हदीस के अधीन रखा । कुरान झौर हदीस का झर्थ नई परिस्थितियों में बताने की झावश्यकता (जिसे वे इजटिंहाद कहते थे) समकाई झौर तकलीद (नकल करना) के दोप स्पप्ट किए । भारत में मुगल सानाज्य की विगड़ती हुई स्थिति को देखकर उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रन्य हुझात श्रर्लाह अल वालिघा में विश्वय्यापी खलीफा के विचार का प्रतिपादन किया । यहू विचार भारतीय मध्यकालीन इस्लामिक विचारधारा के विपरीत्त था. जिसके झनुमार केवल प्रयम चार खलीफा ही वास्नव में खलीफा थे । वलीउल्लाह ने कमबोर श्रौर झयोग्य राजाझो के दोपों को दूर करने के लिए खिलाफ्त की नई थ्यास्या श्रारम्भ की थी । शाह वल्लीउल्लाह की सुगलों की गिरती हुई दशा झत्पन्त भ्रसह्म लगी श्रौर उन्होंने मराठों तथा जाटों की शक्ति को समाप्त करने का प्रयल किया । कहां जाता है कि शाह वलीउल्लाहू को जिस समय वे मदीना में थे एक देवी स्वप्न दिलाई दिया जिसमें ईश्वर ने संसार की स्थिति तथा ध्यवस्या को स्थायी बनाने के लिए उन्हें एक साधन बनाया था । उन्हें दिखाई दिया था कि काफिरो की शक्ति श्रत्पर्धिक बढ़ चुकी थी श्रौर वे श्रममेर तक पर श्रषिकार कर झुके थे । इसके विरुद्ध का्पें करने का उत्तरदायित्व शाह बलीउत्लाह पर ही पड़ा । इस स्वप्न को उन्होंने आने वाली घटनात्रों का सूंचक माना था । १७३४-५७ के मध्य मराठी को शक्ति बढ़ती गई भ्रौर ग्रत्य मुसलमान नेताओं की दुर्बलता को देखकर ही शाह वली ने ध्रहमदशाहू श्रन्दाली को श्राकमण करने के लिए झामन्त्रिति किया था । शक्तिशाली मुस्लिम सामन्तीं से दारउलइस्लाम की रक्षा के लिए सहायता माँगने की परम्परा का भ्रनुसरण करते हुए बलीउल्ताह ने पहले रहेला सरदार नजीवुद्दोला में मुस्लिम शक्ति को पुनर्जीवित करने की श्रास्था रखी । उसकी भ्रसफलता के पश्चादू उसने निजामउलमुल्क भौर ताज मोहम्मद खाँ बनूच से यह काये करने को कहा 1१९ जब यह सब नेता मराठों और जाटों को शक्ति कुचलने में असफल रहे तब वलीउल्लाह ने अहमदशाह अब्दाली को भारत पर झाक्रमण करके मराठों श्रौर जाटों की शक्ति नष्ट करने के लिए पत्र लिखा । चलीउल्लाह ने झब्दाली को यह भी लिखा था कि नादिरशाह की भाँति वह मुमलमानों की सम्पत्ति वी लूटमार न करे 1 दिदेशी ७. अजीज अडुमद ६ स्टटीज इन इस्नामिव कलर (१६६४) पुर २०४ । 5 पद. अजीज जईमद पृ २०६1 €. चरवदुल्ला सिन्धी ह० १६७-१७१। १०. ताराचन्द पृ० वृष । झ ११ दलोग अदुदद निवासी शादू दलीउस्टाट के सियासी समजदूचात पू० ७-५० इन ३-६५ उ्दुरुषा छिन्धी पु० श७ इ७ १५७ प७६।




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