मेरी असफलताएं | Meri Asafaltayen

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Meri Asafaltayen by गुलाबराय - Gulabrai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मार्शल ला मेरी प्रारम्गिक शिक्षू। यद्यपि उन दिनों प्रारस्मिक शिक्षा को अनिवायें बनाने का या निरक्षरता-निवारण का कोइ आन्दोलन नहीं चल रहा था तब भी मैं घर बेठकर मौज न उड़ा सका । पढ़े-लिखे घरों में तो शायद विद्यारस्भ-संस्कार उतना दी जरूरी है जितना कि विवाह शायद उससे मी ज्याददद ब्योंकि विवाह का बन्घन कुछ दिन टल भी जाता है लेकिन शिक्षालय का जेलखाना तो बच्चे के खेलने खाने के दिनों में दी तय्यार कर दिया जाता है । विद्यानिधि भगवान्‌ रामचन्द्र चौर कल्ानिवि समगवान कृष्ण को भी रपुरु- गृद जा कर विद्याओं और कलाओं के अध्ययन की खाना पूरी करनी पढ़ी थी । यदि आपको विश्वास न हो तो बाबा तुतसी- दास जी का प्रमाण दे सकता हूँ । रु गृह पढ़न गये रघुरा इ अगर आप बहुत कपड़ा करेंगे तो श्रीमदूसागवत्‌ का भी प्रमाण दे दूँ गा । कृष्ण भगवान्‌ ने ची मठ दिनों में कल्लाएँ सीखी थी । सान्दी पनमुति का नाम तो उनके शिष्यटव के कारगा ही असर हुआ | मेरें पिता सरकारी नौकर थे । उदू से उन्हें दूष न था । इतना ही नद्दीं वे उसका पढ़ना जरूरी समभते थे क्योंकि उन दिनों बिना उदू -ज्ञान के पास-पोट के सरकारी नौकरी के क्षेत्र डी




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