मलय | Malay

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Malay by श्री कृष्णदास जी - Shree Krishndas Jee

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खोदाई इन क्षेत्रों में हुई है उनमें बुजंग नदी के किनारे ईट की इमारत मिली है। इस इमारत के नीचे बुद्ध भगवान की साढ़े आ्राठ इंच की भ्रत्यन्त सुन्दर प्रतिमा मिली है । विद्वानों ने इस मूर्ति का श्रध्ययन करके बताया है कि केडाह से प्राप्त बुद्ध की कास्य प्रतिमा-गुप्तालीन यह चौथी शताब्दी की ग्रौर ग्रमरावती कला तथा गुप्त कला के बीच की प्रतीत होती हे। पेरक की टीन की खानों में भी बुद्ध की दो पीतल की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं । केडाह के समुद्र-तट पर जो खोदाई हुई है वहाँ बोद्ध स्तूप श्रौर बौद्ध धर्मं-ग्रन्थों से उद्धृत शिला-लेख भी प्राप्त हुए हैं। एक लेख के श्रक्षर चौथी शताब्दी के दक्षिण भारतीय ग्रक्षरों से मिलते हैं श्रौर दूसरे के श्रक्षर संस्कृत के महायान बोद्ध धर्मग्रन्थों के भ्रक्षरों से । ः लंकाशुक श्रथवा इस क्षेत्र के तत्कालीन निवासियों के व्ाभूषणों का वर्णन चीनी ग्रन्थों में इस प्रकार है-यहाँ के ख्री-पुरुषों के बाल लम्बे होते हैं । वे खुले ही रहते हैं । ये लोग बिना बाँह के लम्बे कपड़े पहिनते हैं । इनके कपड़े सुत के बने होते हैं जिन्हें वे कान-मान कहते हैं । सम्राट श्रौर सामन्त लाल रंग का एक कपड़ा ब्रीर पहिनते हैं जो कन्घे से लटकता रहता है । ये लोग श्रपनी कमर में सुनहरी डोरी बाँधते हैं १४ १ ड्




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