महाभारत भाषा | Mahabharat Bhasha

Mahabharat Bhasha by पं. कालीचरण - Pt. Kalicharan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. कालीचरण - Pt. Kalicharan

Add Infomation About. Pt. Kalicharan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
३... सोषिकपव | #३ 3. से समकाने के योग्यहे और जो योग्य नहीं है वह पीड़ा पाताहे ८ इसी प्रकार नानीलोग पापकर्म करनेवाले बुद्धिमान्‌ मित्रको सामधय के अनुसार बारम्बार निषेष करते हैं वह कल्याण में चित्त करके और मनसे बुद्धिकी आधीनता में करके उस चचनको करताहे जिसके कारणसे पीछे दुःखी नहीं होताहे १० इस लोक में सोनेवाले मनुष्यों का मारना और इसी अकार अशख्र रथ ओर घोड़ों से रहित मतुष्योंका मारना पर्मसे प्रशंसा नहीं किया जाताहे ११ जो कहे कि में तेरा जो शरणागत होय जो खुलेडये केशहोय और जो सतक सवारीवालाहे १ २ हे समर्थ इन सबका मारना भी निषेध है कबचसे रहित छतकके समान अचेत निश्वासयुक्त सब पाज्चाल लोग सोते हैं १३ जो कुटिल पुरुष उस दशावाले उन पाज्ालदेशियों से शत्ता करेगा वह अथाह बिना नोकावाले नरकरूपी समुद्र में डूबेगा १४ तुम लोकके सब अख्ोंमें श्रष्ठ विख्यात हो इस लोकमें कभी तुम से छोडासा भी पाप नहीं हुआ १५ फिर सूयके समान तेजस्वी तुम प्रातःकाल के समय सृयोदय होने अर सब जीवोंके प्रकट होनेपर युद्धमें शजुओंके लोगोंको विजय करोगे १ मरे मतसे तुकमें ऐसा निदष्ट और निषिद्ध कम ऐसा झस- म्भव है जैसे कि श्वेतरह्वाला पश्न रक़वणे होना असम्भवदे १७ अश्वत्थामा बोले हे मापाजी जैसा झाप कहते हैं वह निस्सन्देह वेसाही है परन्तु प्रथम उन पारडवोंने ही इस धर्मरूपी एलको तोड़ाहे १८ शख्र त्यागनेवाला मेरा पिता राजाओंके समझ्षं आपलोगों केमी देखतेहुये घष्टयुम्के हाथसे गिरायागया १६ रथियों में श्रेष्ठ कर्ण रथचक के एथ्वीमें छुसजाने पर बड़े दुःख में डूवाहुआ उस अज्नके हाथसे मारागया २० इसी प्रकार शख्र त्यागनेवाले घदुष आदिकसे रहित शन्तनुके पुत्र भीष्मजी भी शिखरडीको आगे करके अज्ञुनके हाथसे मारे गये २१ इसी प्रकार युद्धमें शरीर त्यागनेके निमित्त बेठाहुआ मृरिश्रवा राजाओं . के पुकारतेडुये सात्यकीके हाथसे मारागया २९ डुर्योधन गदासमेत भीमसेन के सम्सख होकर राजाओं के देखते अधम से मारागया २३ वहां अकेला नरोत्तम बहुत रथियोंसे विरकर अधमयुक्क भीमसेनके हाथसे गिरायागया २४ . मैंने दूतोंके खसे टूरी जंघावाले राजाका जो विलाप सुना वह मेरे मम॑स्थलों को काट्ताहे २४. इस प्रकारसे पाद्ालदेशी लोग अधर्मी और पापी हैं जिनका 3 कि घमका एल टूट गयाहै आप इस प्रकारसे उन बे मर्यादवालॉकी निन्दा नहीं 4 भर करतेही २६ में रात्रिके समय निशायुद्ध में अपने पिताके मारनेयाले पाश्चालों




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now