काला ब्राह्मण | Kala Brahaman
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.38 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तुम्हे कल से महामात्य कांत्यायन के प्रधानात्व मे मंत्री पद को सम्भालना पडेंगा । इतना कह्ठ कर वे शकटार को अपने साथ ही बन्दीगह से निकाल लाए । महाराज के अन्तिम आदेश को सुन कर शकटार का हृदय क्षोभ से भर उठा । उनके ओष्ठ कुछ कहने के लिए उद्यत हुए- परन्तु समय ठीक न समझ कर वे शान्त ही रहे । रात्रि के प्रगाढ अन्धकार से मद्ाल आगे की ओर बढ़ती गई और दो मानवी छाया उसका अनुसरण करती रही । समय बीतता रहा । कार्य चलता रहा । लेकिन बूढ़ा शकटार का हृदय अपने पुत्रों की मृत्यु का कारण महाराज को समभ बेठा । वहू अभी इस वेदना को भी न भुला पाया था कि अपमान की ज्वाला ने उसके जीणं॑ शरीर को भुलसित करना आरम्भ कर दिया । उसनें महाराज से अपने अपमान का प्रतिशोध लेने की चेष्टा आरम्भ की । इस शुभ का्ये के लिए उन्होने चाणक्य को हो श्रेष्ठ व्यक्ति सगभका . बयोकि वे उसके उग्र स्वभाव से पुर्णतया परिचित थे । एक दिन वह अवसर भी आ गया- महाराज नें कृत्या यज्ञ के लिए किसी मर्हाषि को बुलाने के लिए शकटार को कहा । शकटार ने विष्णुगुप्त चाणक्य को यज्ञ स्थल पर प्रधान ऋत्विज के आसन पर सुशोभित करके स्वयं पाठलि-पुत्र से तक्ष - शिला को प्रस्थान कर दिया 1. महाराज ने यज्ञ स्थल पर पहुँच कर देखा- प्रधान ऋत्विज के स्थान पर कुरूप काला अनिमन्रित ब्राह्मण । १८ |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...