महाभारत अंक ३४ | Mahabharat Ank 34

Mahabharat Ank 34 by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ महाभारत । [ सेनोद्यागपतें जैछककसे सेफिनिफिनिसिगेनिफिके फेकिकिकिनिसिफिसिसिक सरसरसिकिकिदेशिलिकक संझसर कदर सरीसदादससदीदारसससाकियरडिये निनिकेशिनिकियि हु ठ - असितौजस तथोाग्राय हाद्क्वायाडपकास य। 1) ॥) दीचप्रज्ञाय चूरास रोचसामाय वा विसीं. ॥ १२ ॥| क) आनीयतलां बइतब्ध सेनाचदुश्य पाथिवय! | 2 2 सेनजित्प्रतिर्विध्यश्र चिन्रवसों सुवास्तुक। ॥.१३ ॥ 2 ए याल्हीकों सुजकेदयाश चेव्याधिपतिरेव च | ) पी) सुपाग्वश्य सुबाइश पौरवग्ध सहारथ: ।। १४ |! कर शान्शानां पल्हवानां च दरदानां च ये चपा। | / डे सखुरारिश्व नदीजब्ध क्णवेछस्व पार्थिव! | २४ |) 2 नीलब्य वीरघनो च शूसिपालख चीयवान | डे ) दुजेयों दंतव्ब्य रुक्सी च जनसेजय। | १६ || | ) आपचाढों चायुवेगश्ध एवंपाली च पार्थिव: . पी सूरितेजा देवकथ्त एकलव्य! सहाध्ज्त्सजे। ॥ १७ ॥। ) पे कारूषकाथ्य राजानः क्षेसधघूततिश्ा वीयेवान्‌ | ) द कॉबोजा चषिका ये च पश्चिसानूपकास्व से ॥ १८ 0! ) ॥) जयत्सेनश्व काइयश्न तथा पंचनदा चपा। | ) ः क्राथपुत्रम् दुद्धषे पावेलीयाश्य ये चपा। . ॥ १९॥। . ही जानाकिब्य सुद्ाला च साणसान्याजञतघत्सक | 1 ) पचुराट्राधिपश्पव छूषछूकतुश्व चायवान || २० 1] क क) तुडश्व दडघारण्ध बृहत्संनय्य वायथवान | अपराजिलों निषादय्य शेणिसान्यखुसानपि ॥ ९१ ॥ ) ) दीर्घग्रज्ञ, सर, रोचमान, ब्रहन्त, सेना- न देवक, पुत्रोके सहित एकलव्य, कारूपक ?) बिन्दु, सेनजित, प्रतिविन्ध्य, चित्रवमों, . |. देशके राजा, बलवान क्षेमधूर्ति, काम्बोज, 0 ' सुवास्तुक, वाहक, सुझकेश, चंद! पि- ऋषिक, और दीपेंकि राजा, जयत्सेन पाति; सुपा।इव, सुबाहु, मदर पा काशेराज, पज्ञावके सब राजा, क्राधपुतर द शक, पटहच, ' दरद, सुरारि, नदाज, दुधेषे, सब पवतोंके राजा, जानकी, | ।. कणवेष्ट, नीठ, वीरघमा, महांबलवान सुचचमो, मणिमान्य, अतिमत्स्यक, पाँशु- _ सहायाद्धा दन्तबक्र, रुमा, जनसजय, देदीक राजा, बलवान घरृष्टकतु, तुण्ड, )) '. आषाढ, बायुवेग, पूवेपाली, भूरितिजा. ।. दण्डघार, बलवान चरहत्सेन, अपराजित, सुरूरूसुरूशससुसरूसरसुसुसादसससससुरससरूसस सरदार सारा छरफश घककाद किस कलकर फेक किया किया कारउफिर




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