भारत में अंगरेज़ी राज्य भाग २ | Bharat Me Angareji Rajya Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22.43 MB
कुल पष्ठ :
1038
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।
26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।
मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१३ )
सेनापति रोशनबेग की वीरता श्र स्वामिभक्ति--धमीरपाँ के दामाद
नवाव झव्दुलराफ़ूर खाँ का विश्वासघात--झड्डरेज़ों की विजय--माणदेखर
की सन्धि--झव्दुलग़फ़ूर खाँ के वंशजों को जावरा की रियासत--तीसरे
मराठा युद्ध का परिणाम--कम्पनी के भारतीय राज्य में पचास हज़ार वर्ग
मील की दूद्धि-मराठा मण्डल का झस्त । १६४--१०४२
तेंतीसवाँ अध्याय
लॉ ऐमहस्टं
[ अदरे--अप८रद ]।
पदला वरमा युद्ध
उस समय के बरमी साम्राज्य की '्वस्था-अड्रेज्नों का वरमी सर-
दार किक्वैरिह को भपनी झोर फोड़ना-किन्ञनेरिक्त का तीस, इज़ार
बरमियों सदित ्राकर चटमाम में वसना--उसके द्वारा लगातार १४ वर्ष
तक बरमा राज्य पर हमले श्र लूट मार--श्रह्नरेज़ों का श्वपराधियों को
चरमी सरदार के हवाले करने से इनकार--कसान कैनिज्न की बरमा यात्रा--
वरमा को पराघीन करने की योज्ञना--चरमा में कम्पनी की साज़िशे--
कर्पनी के नौकरों का वरमी जज्ञलों से जबरदस्ती हाथी पकड़ लाना--
दरमा में धडरेजु व्यापारियों का मदसूल देने से इनकार--शाहपुरी टापू पर
धन्नरेजों का जुवरदस्ती क़्ब्ज़ा-अधज्नरेजू कप्तान च्यू की गिरश्तारी-उस
समय की बरमी जाति की सम्यता--उनकी वीरता--उनमें शिक्ता--
उनका सैनिक इतिहास--उनके सान्नाज्य की सीमाएँ-जल और स्यत्त
दे. _
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