अकबर | Akabar

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Akabar by चन्द्रमौलि सुकुल - Chandramauli Sukul

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूर्वकथा, जन्म । पर वीरता दिखाई । बाबर को जय श्रौर 'ग्राज़ी” की पदवी मिली; वीर राजपूतां के शिर चढ़ा-उतार शिखर रूप में जमाये गये । बंगाल के लोदी पठानों ने फिर ज़ोर मारा कि बाबर को परास्त करके झ्रपना राज्य जसावे”; परन्तु मुगल बादशाह ने कुछ अख-बल से श्रोर कुछ वुद्धि-बल्ल से उनको परास्त्र किया । सन्‌ १५३० ईं० मे बाबर की सृत्यु हो गई श्रौर दिल्ली का राज्य उसके बड़े बेटे हुमायूँ को मिला । बावर वढ़ा वीर शोर उदार था श्रौर झ्रपने मित्रो पर प्रेम रख कर उनकी यथाशक्ति सहायता करता था । परन्तु वह खरा विजेता ही था, श्रथांतु सेना को उत्तेजित करके लड़ना जानता था श्रोर देश जीत सकता था । परन्तु जिस प्रकार के प्रबन्ध की झावश्यकता भारतवर्ष मे थी, वह बाबर से नहीं हो सकता था । जिस देश के वासी श्रधिकतर हिन्दू हों वहाँ मुसलमानी ढँग से राज्य करना कैसे सफल हे! सकता था । हिन्दुओं श्रौर प्रतिपक्षी मुसलमानों के हृदयों मे यह बात जमी हुई थी कि बाबर अन्य-देश-वासी बादशाह है; उसको हम लोगों से कोई सहानुभूति नही हो सकती । यह बात केवल बाबर ही मे नही किन्तु उसके पूर्व के प्राय; सभी मुसलमान बादशाहों मे रही, इसीसे राज्य की जड़ हिन्दुखान मे न जम सकी । बाबर के चार पुत्र थे, हुमायूँ को राज्य मिला, कामरान को काबुल, कृघार जार पंजाब की सूबेदारी मिली; अस्करी को




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