तर्क संग्रह | Tark Sangrah

Tark Sangrah by अन्नम भट्ट - Annam Bhaṭṭa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषाटीकासदितः 1 १०६ नित्यद्व्यवत्तयों विज्ञेषास्त्वनन्ता एव नित्य्व्यंमिं रदनेवाके जो विशेष पदार्थ हैं वे अंत हैं सर्थीत्‌ नित्यडव्य जो परमाणु भादिक हैं वह अनंत हैं इसवास्ते उनके मेदक याने परस्पर भेद करनेवाले विशेषन्नी उग्नंव हूं और जितने घटादिक हैं उनके अवयव जो कपालादिक हैं उनके भेदसे घटादिकोंका परस्पर भेद सिद्द होता है परंतु परमाणु आदिक जो नित्यदव्य हैं वह तो निरवयव हैं उनका परस्पर भेद कैसे लि- च होवे इसंवास्ते उन नित्यदव्घोॉका परस्पर भेद करनेवाले वि- शेष मांने हैं यदि विशेषका भेदकभी कोई और विशेष माना जावेगा तब उसका भेद कोई और मानना पंडेगा तब अनवस्था- दोष भावेगा इसवास्ते विशेषका भेदक दूसरा कोई नहीं साना है किंत॒ विशेषकोह्दी स्वतोव्यावर्तकत्व माना है अथीत््‌ अपना आपही भेदक माना है और जैसे परमाणु अधिक नित्य हैं तैसे उनके भेदक विशेषज्ती नित्प हैं ॥ नुन॒विशेषका लक्षण क्या है (॥ उ०- निःसामान्यत्वे सति सामान्यसिन्नत्वे सति समवेतत्व॑ विज्ञोपछूझषणमस्‌ जो सामान्यसे शून्य हो अ- था जिसमें जावि न रहे और जो सामान्यसे भिन्न हो याने आप जातिरूप न हो किंत॒ जातिसे भिन हो और समवेत हो याने समवायसम्बन्ध करके इच्पमें रहे उसीका नाम विशेष है सो यह लक्षण विशेषमेही घटता है क्योंकि विशेष जातिसे रहि- तभी हैं और जातिसे भिन्नभी हैं और नित्यदव्य जो परमाणु आादिक उनमें समवायसम्बन्घ करके रहतेभी हैं और जो दब्य गुण कर्म हैं सो सामान्यसे रहित नहीं हैं और सामान्य जो है सो सामान्यसे भिन्न नहीं है और समवाय अन्नाव जो हैं सो किसीमें समवायसम्बन्ध करके रहते नहीं हैं इसवास्ते और किसीभी




User Reviews

  • Priya thakur

    at 2020-11-06 09:50:38
    Rated : 8 out of 10 stars.
    "Text related"
    Words are not clear and clean to read😟😟😟😟. But everything in this is perfect for me.
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