मुसलमान | Musalman

Musalman by चन्द्रबली पांडे - Chandrabali Panday

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रद ) कमी “इसलाम' पर हाथ नहीं उठाया और फउ्तः कुरानमजीद को आदर की दृष्टि से देखा । उघर औरगजेत्र ने इसलाम की पुकार पर ध्यान ही नहां दिया, उलरे सैबर की प्रेरणा से--+ सोदि ढारे देवी-देव सदर मददल्ला बॉके, छासन छुरुक कीन्दे छूट गई तब की । औरगजेबर की इस ठुरुप्फ नीति को इसलाम का प्रसाद नहीं समझा गया 1 शिवाजी के उपरान्त मी टिन्दू अन्यें नहीं हुए । सदा की भाँति अपनी मर्यादा पर आबे रदे । औरगजेब्र के सेमरी अत्याचार से व्ययित दो, शिवाजी के सपूत सम्भा जी ने जयपुराघीत रामसिंद को पत्र लिखा, तो उसमें भी यद्दी कद्दा कि हमें इस हुए यवनाधिप से अपने घ्मे की रप्ला करनी चाहिए और उसके स्थान पर उसके आत्मज उदार अकबर की स्थापित करना चाहिए. ; कुछ यद नहीं कद्दा कि मुसल मान को सदेद कर हिन्दू राज्य स्थापित करना चाहिए. । कान खोल कर सुनिए: और आप खोल कर पढ़िए, तो पता चले कि तथ्य क्या दे, और किस प्रकार वह विक्ृत कर भाँति भाँति से खेबरी लोगें में फेलाया जा रदा दे । अच्छा, तो श्री दाम्भुजी का कहना है-- तह श्रीमद्धिर्भेयाव्टंभेन यत्फतेव्य तदवदय॑ विधेय॑ पठाणाधिप: दाह्दा '्ाबास नामक: अकबरस्यागी कार पूर्वक पत्र प्रेषित तथापि यवन- स्यतादरशं यशोटेयमिति झनुुचितमिति यथा श्रीमद्धिरपि अक्चर सादाय्येन यशो श्राह्मं दिन्दुस्थानस्थंतते सुरन्नाणा: एतस्स्यापने यदनाइचेन्मुख्यास्तदा तेपामेव प्राधान्य॑ स्यात्‌ अतस्तदुव्यतिरेकेण स्मभिभवद्धिदचाकचर: सुश्त्राणों विधेयस्तेन स्पघमेरक्षण भविष्यति भवता च मद्दारालजयरसिंद- चंशशोभविता 1# -एवाल्यूम औव स्टडीज् इन इंडोछीजी, ओरियंटल चुक एजेंसी पूना, सन्‌ १९४१ इ०, प्र० देर । « आपको घेर्ये घारण कर क्तंव्य अवश्य करना चाहिए । अकबर को झगी कार, करते हए अन्यास ने पम मेंजा है. तो भी यवन को ऐसा यश देना 7 'गि '




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