वीर विनोद [दूसरा खण्ड] | Vir Vinod [Vol. २]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
69.05 MB
कुल पष्ठ :
808
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)७ महाराणा अमरसिंह २. 3] वीरविनोद [ जमइयत और रामपुराकी वाबत ख़त - ७४३ १५- वजीरका खृत महाराणा २ अमरसिंहके नाम ता० 9१० रसजान सन् ४४ जु० आ० [हि 999१ दि० 9७५६ फाल्गुण शुक्क 9१ न इ० १७०० ता० २९ माच कट्ट्ट्टटट्ड्टटटटटटर -रफ श्र ापलिलणणा हमेशा नेक बादशाही मिह्बानियोंमें शामिठ होकर खुद रहें जो खत कि नाद्शाही नौकरोंको पगनह सेंपने १००० सवार रवानह करने फर्मान ओर टीका इनायत होने ओर एथ्वीसिंहको रुख्सत मिठनेक बाबत लिखा था पहुंचा पर्गनोंके सौंपने ओर सवारोंकी रवानगी और फर्मान मिठनेके वास्ते हुजूरमें अज़े किया गया हुक्म हुआ कि फृमांन ठिखा जावेगा. मैंने दुबारा लिखा है खातिर जमा रखें जमइयत भेजनेमें देर न करें यकीन है कि सवारोंके पहुंचनेपर पगगने बदस्तूर बहाल होजावें फिक्र न करें. एथ्वीतिंह और रामराय और वकीठ जगरूप अच्छी पैरवी करते हैं जियादृह क्या ठिखा जावे. नएएपक्च£६६2सनाणाण कया कल यि काटा बल चेक रथ बल जायश था िय ऑद बल जला आ्ध्य ारिाफ्िी यधचय प्ज्प्य १ ६- चजीरका ख़त महाराणा २ अमरसिंहरे नाम- नलथतथ0थनाण ं हमेदाहद वादशाही मिहर्वानियोंमें शामिल होकर खुदा रहें दोस्ती की बातें जाहिर करनेके बाद साठूम हो कि वाद्शाही दगाहमें अर्ज हुआ है कि गोपाल नाठायक । माठका और बाजण। के पहाड़ोंमें ठहरा हुआ है यह गांव अगचिं पहिठे मांडठगढ़के | पगनेमें झामिठू था ठेकिन् शुरू साठ २६ जुठूससे गुजरे हुए राणा जयसिंहने इस तरफके १७ गांव अपनी जागीरके तथ्यछुकमें कर ठिये थे और अब भी यह जगह | उन उम्दह्ह सदोरके कब्जेमें है उदयभान शक्तावत उस दोस्तका नॉकर जो इस । गांवका जागीरदार है बदनसीव गोपाठके साथ इत्तिफाक रखता है ओर वह दोस्त भी मदद खर्च देते हैं. यह बात अच्छी नहीं माठम होती. इस वक्तसे पहिले उस । उम्दह भाईके ठिखनेसे हुजरमें अज़े हुआ था कि उद्यभान वगेरह जर्मीदार गोपाठके साथ इत्तिफ़ाक रखते हैं और राठोड़ भी जिनकी जागीर करीब है उसको नहीं । रोकते हैं इन दिनॉंमिं अजेके वर्खिलाफू माठम हुआ जिसकी बावत बहुत अफसोस । है. बुजुर्ग हुक्मकी मुवाफिक मैंने ठिखा है कि पर्गनह माठका ओर बाजणाकों मए | १७ गांवेंकि अपने इठाकेमें जानकर ताकीद रखें कि उद्यभान बेजा हरकतोंसे दार्मिन्दह होकर हुक्सके बर्खिठाफ अमल न करे. वह दोस्त भी मदद ख़चेसे हाथ छू खेंचकर बादशाही खेरस्वाहीपर काइम रहें ओर ऐसी कोदिश करें कि गोपाठ हू तर मी . एनामममफण्र्ण््र्ाकण प्र न सनी प्यास गया नाप्टिटििनयि ्प्य डक 22222 5
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