मनुस्मृति की टीकाओं में प्रतिबिम्बित सामाजिक आर्थिक स्थिति | Manu Smrity Ki Tikayo Me Pratibimbit Samajik Arthik Sithit

Manu Smrity Ki Tikayo Me Pratibimbit Samajik Arthik Sithit by पल्लवी श्रीवास्तव - Pallavi Srivastava

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(12) राजा का कर्त्तव्य बताया गया है । स्त्री की इच्छा के बिना उसके साथ समागमन पर दण्डस्वरूप मृत्युदण्ड का विधान निश्चित किया गया है | मनुस्मृति मे राजा की अवधारणा स्पष्ट करते छड्रए राजा के कर्त्तव्यों का विवेचन किया गया है जैसे राजा को संसार की रक्षा करनी चाहिए राजा को वणश्चिम वर्णधर्म की रक्षा करनी चाहिए । राजा को पिता के समान कर ग्रहण करना चाहिए राजा का धर्म युद्ध करना है राजा रिश्वत लेते व्यक्ति को पकडे तो देश निकाल दे चोरों को दण्ड देना राजा का कर्तव्य है। राजा को कराघान थोडा लेना चाहिए एक उऊन्य स्थल पर राजा को थोडा कर ग्रहण करने का विधान किया गया है जैसे सूर्य नदियों का जल सोखता है राजद्रोही को राजा प्राणदण्ड दे राजा का कर्त्तव्य है कि वह प्रजा की रक्षा करें राजा देश को पीडा दे तो वह नष्ट हो जाता है। राजा बालक हो तब वह देवता है । यथा शक्ति युद्ध करने वाला राजा स्वर्ग लोक प्राप्त करता है । इसके साथ ही मनुस्मृति मे राज्य के सात अंगों का भी उल्लेख मिलता है। सब भूमि पर राजा का अधिकार माना गया था जिसके कारण पृथ्वी में गडेधन का आधा हिस्सा राजा का होता था । राज्य में उत्पन्न होने वाले धान्य का कराधान 1.6 1/8 1/20वां हिस्सा राजा का होता था । कारीगर एंव शिल्पी अपना कर राजा के यहाँ एक दिन कार्य करके अदा करते हैं । मनुस्मृति में साधारण जीवन की नैतिकता का उच्च स्तर प्रस्तुत किया गया है। एक स्थल पर सदाचार की महत्ता का उल्लेख प्राप्त होता है परस्त्रीगमन को बुराकर्म बताया गया है तप की महत्ता माता पिता का ऋण माँ की महत्ता भाई की पत्नी की चरणों की वंदना धर्म की महत्ता आश्रमों - ब्रह्मचर्य गृहस्थाश्र्म) गुहस्थ के कर्त्तव्य वानप्रस्थाश्वम सन्यासाश्रम का उल्लेख मिलता है। इच्छा के विरूद्ध स्त्री से समागम करने पर प्राणदण्ड का उल्लेख मिलता है जोकि तात्कालिक समाज का. कठोर चरित्र झ्स्तुत करता है उत्तराधिकार के विषय में विस्तृत उल्लेख मिलता है। मद्य पीने वाले ब्राहमण को शूद्र बताया गया है। राजा को निर्देशित किया गया है कि राज्य में जुए का खेलना एंव समाहय राजा बंद -कर दे। मनु ने स्वर्ग का लोभ एंव खराब भविष्य का भय दिखाकर भी कुछ आदर्शों को स्थापित करने का प्रयास किया है जैसे चारो वर्णों के लोग यदि अपना कार्य न




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