सुख की मूल | Sukh Ki Mool

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : सुख की मूल  - Sukh Ki Mool

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
न्चूलिनचू चूहा चल छि तह चटचलभभत भरा के कफ सागवत में मक्ति के मेद [ ₹9 अवरणं कोतेन विष्णो: स्मरण पादसेवनम । झचेनं वन्दन बास्य सख्यं झात्मनिवेवनसु ॥। (१) सगवान के गुणों को सुनना (२) भरधान के गुणों का व नामों का संकीतेन करना (३) मगवान को न दी मन याद करते रहना (४) भगवान की भूर्ति के चरणों पर तुरूसी चढ़ाकर प्रसाम करना (५) विधिपूवक सगबान की पूजा करना (१) सगवात के सामने साझांग दृंडवत नमस्कार करना (७) अपने को सगवान का सेवक समककर मंदिर में भाड़ रकुयासा, सगवान के छिये अछ भरना, प्रसाद तैयार करना आदि सेवा करना (८) मगवान को अपना मित्र समम्कर उनकी छुपा पर सदा विश्वास रखना । (६) अपने आपको तन मसल वचन से भगवान के समपण करके छारणागत बत्सक सगवान के मरोसे निश्चिन्त रहना । ये नी प्रकार की भक्ति भीमदुसागवत राण में छिखी: है । (१) अवखण-- (२) कौतेन (३) विषय का स्मरण (४) पाद सेवन (दि) बन (६) (७) बात भाव (५) ससा भाव (९) आत्म थी विष्णों ज का वैयासकि: कीतेंने । भ्रहुलाद: स्परखे तदझुप्रि लक्ष्मी | अक्ू रस्त्वभिवन्दने करपिपतिदास्पेय पा || सर्वस्वात्मनिवेदने.. घलिर परस +... मगबान के गुणों को सुनने से परिश्चित्‌, कीतेन में शुकदेवडी, # स्मरण में प्रदढाद ली, पाद सेवन में छदष्मी जी, मूजन में हे मद्दाराना पथु, बन्दन: सें अकूर थी, चधास्य में इजुमान जी, सस्य में बज न और स्वस्थ आत्मसमपंण में राजा बढ़ि विधि्ट हुए । भगवान छुष्ण की आप्ति दी इन सबका परम उदय था । ज्न्सीननीनीनननिटीण सलवतररिका हल हि कन्नौज जलेनजनजचव्मष के नषर.षूध्नध्मंष्मेथ. ्क हल नरम




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now