हिमालय के अच्चल से | Himalaya ke Achchal Se
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.44 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती - Shri Swami Shivanand Sarasvati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनसुय्या के समान ही मद्दान् पतित्रता नारी बनें | ललितसोहन
सर्यादापुरुपोत्तम भगवान् राम द्वारा प्रस्तुत एक पत्नीघ्रतके 'छादशं
को छापनायें । गम्भीर निष्ठा और विश्वास पूर्वक दोनों में
परस्पर प्रेम हो । विवाह पत्रित्र है । घर पवित्र है । पत्नी झपने
पति की सेवा करे, पत्ति अपनी पत्नी को सन्मान दे श्लौर पति
तथा परनी दोनों मिल कर अपने गुरुजनों, अतिथियों, विद्वानों
तथा सन्त-महात्माओं की सेवा 'छौर सन्मान करें । दोनों दी
धर्म के श्रनुसार निर्धनों और 'अभावप्रस्तों की सहायता करें ।
उनका घर भगवान् का पवित्र सन्दिर बने । उसमें सगबान
के दिव्य नाम की आनन्दूदायी ध्वनि गूजती रहे । भगवान् की
पूजा नित्य विराम गति से चलती रहे । धूप ब्ौर आरती की
पवित्र सुगन्धि से उनका घर निश्चय ही दिव्य घाम बन जायेगा |
इसमें सन्देद नहीं कि ऐसा घर और ऐस। जीवन नवदम्पति के
लिए सुख, समद्धि, श्भ्युदय और सफलता का वाहक होगा।
भगवान् में श्रद्धा रखिए । अपने कतेंप्य का यथात्रत्् पालन
फीजिए। सदा भगवदूचिन्तन कीजिए । सचाई और धर्म के सागं
पर चलिए । ध्यान रहे कि आप दोनों सदा ही भगवान् के
सालिध्य में हूँ। भगवान् 'ापके हृदय में निवास करते हैं ।
जीने का अथे है. भगवान् की ब्मौर नित्य एक पग झागे बढ़ना |
आपको भगवान् का 'आशीवोद प्राप्त हो । ललिव सोहन तथा
उनके माता-पिता 'मोर सभी वबन्धु-बान्धवों पर सदूगुरुदेव
शिवानन्द् जी की कृपा बनी रहे । इस शुभ विवाद के मंगल
अवसर पर भगवान् अपनी कृपा-दुष्टि करें ।
शिवानन्दाध्रम गुरुदेव के चरणों में श्रपना ही
२५ नेवम्यर, १8६४ स्वामी चिदानन्द
User Reviews
No Reviews | Add Yours...