पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास | Pashchatya Darshano Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.01 MB
कुल पष्ठ :
452
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय-प्रवश
*ब्प्नुनवा
युरोप की प्राय: सभी मुख्य मुख्य भाषाओं में दर्शन शाख के लिये
एक यूनानी शब्द ?४110500705 (जिसका 'थे ज्ञान का प्रेम ्ड्ि
के झाघार पर बने हुए झँमेजी शब्द फिलासोफी ( £)011051 छ05
से मिलते जुलते हुए शब्द व्यवहार से आते हैं । जिज्ञासा शब्द इसके
व्यथ का निकटवर्ती है। फिलासोफी का विस्तृत रूदू थे
मीमांसा या विवेचना शब्द के हरा प्रकट किया जा सकता है; 'और
संकुचित रूट झथ दर्शन या दशेन शाख्र द्वारा अ्रकाशित किया
जाता है । प्राचीन काल में फिलासोफी शब्द का बड़े ही विस्तृत
अयथे में व्यवहार होता था । सभी प्रकार का ज्ञान इसके 'झन्त-
गंत समका जाता था। भौतिक विज्ञान को प्राक्नतिक दर्शन:
( पे 2६घ1४] छ911080070% ) के नाम से पुकारते थे। न्यूटनः
( पं 0ण ) को फिलासोफर कहा है । 'छाजकल विशिष्टीकरण
(80०ल8४129०० ) दो जाने के कारण फिलासोफी शब्द का
थे बहुत संकुचित दो गया है। यह चिशिष्टीकरण यहाँ तक
हुआ दै कि जो ज्ञान की शाखाएँ वास्तव में दशन से सम्बन्ध रखने-
चाली हैं, वे भी स्वतन्त्र होकर विशेष विज्ञान के स्वरूप में झा
गईहेँ। इसलिये युरोपीय दुशेन शासन का इतिहास लिखते
समय यहद अक्ष उठता है कि चास्तव सें दर्शन का विषय क्या दै
श्र किस का इतिद्ास लिखा जाय । क्योंकि एक रृष्टि से दर्शन
User Reviews
No Reviews | Add Yours...