तमिल और उसका साहित्य | Tamil Aur Uska Sahitya

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Tamil Aur Uska Sahitya by श्री पूर्ण सोमसुन्दरम - Shri Purn Somsundaram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रारम्भिक परिचय श् जब कि शेष रचनाओं का नाम-विशान तक बाकी नहीं रहा | तृतीय परिपदू की मी अधिकांश रचनाएँ. कुछ समय पहले तक अलम्य थीं । यदि स्व० मदामदोपाध्याय उ० बे० स्वामीनाथ झय्यर से अपनी सारो शक्ति एवं समय लगाकर निर्मतर प्रयनन न किया होता दो ये भी काल-कविलत हो जातीं । पान्दीन तमिछ-साहित्य के इन व्वे हुए रलों को प्रकाश में लाकर शी स्वामीनाथ अव्यर से तमि भाषा की जो महती सेब की है नह विश्व-साथा के इतिहास में श्रदुलनीय है काल-विभाजन--प्राप्य सामझी के झाधोर पर तमिठ-साहित्य के क्रमिक विकास को मुख्य रूप से सात काल-विभागों में चाँ जा सकता हैं ये हैं--(१) संघपूर्व-काल (२) संघ-काल (३) संब्रोतर-काल (४) मक्ति- काल (५) कम्बन-काल (९६) मध्य-काल और (७) श्राधुनिक काल | त्आागे के झष्यायों में इस ऋमिक विकास पर यथा सम्भव प्रकाश डाला जायगा १ अ् की दर क पी




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