नवीन दृष्टि में प्राचीन भारत | Naveen Drishti Main Pracheen Bharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48.94 MB
कुल पष्ठ :
203
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ नवीन टृष्टिमें प्रवीण भारत | अनय्ंडदाद& हरकत थे नाााथाल नकल ह४ जिसको प्लेटो श्रौर कैन्ट जैसे दाशनिक पुरुषोके शाशनिक अन्यों के पाठक सी जानकर ज्ञानवाशु हो सकते हैं तो में बता दूंगा कि वह देश भारतवर्ष है । यदि में प्रपने झात्मासे पूछू कि हम यूरोपवासो जिनकी चिन्ताशक्तिकों पुष्टि प्रोक रोमन तथा सेमेटिक जातिकी चिन्ताशक्ति द्वारा हुई है डपने जीवनको यूण उदा ए विश्वव्यापी और मचुष्यत्वपूर्ण बनातेके लिये तथा चिरजोवनतक पूण उन्नति प्राप्त करनेके लिये किस देशके साहित्य नौर शाख्रसे शिक्षा प्रो्त कर सकते हैं तो मुझे यही उत्तर मिलेगा कि वह देश भारतवर्ष है । माषा घर्म प्राचीन इतिहास दर्शन शास्त्र ओचार दिटप शान विज्ञान कोई भी विषय मजुष्य जानना चाहे सभीका झपूव तथा व्रजुपम उपोदान प्रकति माताके अनन्त भएडाररुप भारतवषम ही प्राप्त हो सकता है । प्रोफेसर हीरेनने कहा है-केवल एशिया ही नहीं श्धघिकर्तु समस्त पश्चिम देशके ज्ञान और धघमंका झाधघार- स्थान यह भारतवर्ष है । मि०्मरे साहबने लिखा हे-- भारत- वरषंका प्राकृतिक दृश्य तथा इस भूमिमें उत्पन्न झपयांतत द्रव्योकी तुलना प्रथिवीके श्रौर किसी देशके साथ नहीं हो सकती है । कनंल टाड साहबने कहा है--ग्रीस देशके दाशनिकोंने जिनके श्रादर्शकों श्रहशा किया था प्लेटो पिथागोरस श्रादि जिनके शिष्यतुसंथ थे उन मुनियाँका -देश भारतवर्ष है। जिस देशकी ज्योतिर्विद्या के प्रभावसे श्राज भी यूरोप मुग्ध है श्रौर स्थापत्यविद्या तथा सज्ञीतविद्याके प्रभावसे जगत् मुग्ध है वही देश भारतवर्ष है । काऊन्ट ज्योणुंस जाणानि लिखा हे--भारतकों प्रत्येक वस्तु ही झपूच शोभासे युक्त है मानो प्रकृति माता जादूकी सूर्तिको घारण करके यहां पर विराजमान हैं। इन कारणौसे तथा इन सब घरमाणों से यह सिद्ध है कि भारतवर्ष ही पूरणएंप्ररतियुक्त भूमि है श्र पूर्ण प्रकृतियुक्त मानव भारतवपंम ही जन्म ग्रहण कर सक्ते हैं
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