कीर्तिलता | Kirtilata
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.88 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हू रे
विदापति के द्ाथ की लिखी. श्रीगद्धगवत की पाथी, निसका
ऊपर उल्ल्ख किया गया है; दरमगा से दूत काल दूर तरीनी गाव में
लयनाणयण का की विधवा पती के प्राप्त सुरद्धित हैं। ग्रन्थ को पत्र
सवा ५७६ हैं । परयेक पतन के दोनो श्र लिखायट हैं। प्रत्येक शपट
में छा पक्तियां हैं। साइज २ फुट रे इन्ज रद इस हैं । ग्रस्थ के
श्रस्त में लिखा दें--
डाभमरसतु सर्व्वाधिंगता रखिपा ल० सं २०६ अवरु इुक्ले ४ कुजे
रालवनीली आमे थी विदपिति लिपिरियमिति । पिद्वानी फा सह है
कि बश्तुत यद पीधी 'विद्यार्ति की लिखी हैं 1?
कीर्तिलता का विषय
बियापति के प्रथस श्ाश्रवदाता राज्ञा कीतिंसिद थे। इन्हीं की
कीर्ति का गुण फॉर्पिलता में कवि ने गाया है | प्रम्थ के थादि में संस
में मंगलापयरण के दो श्लोक हैं, तदनस्तर एण लोक में पालयुग की
दुख्बत्या का नसुन रि जिनमे बताया गया है. कि इस घुग में कविता
बहुत है; सुनमेवालि श्रोर रणजाता भी बहुत है परस्तु दावा दुर्लभ हैं ।
दाता हूं भीफीर्िसिंड । वेद काल्ग के पारणी हैं। उनकी गति के
लाने की इच्छा फरि के मन में उत्पन्न हुई ।
इसके उपरान्द फवि श्रपनी विलय दिखाता ? श्रीर कदूता हैं कि
उसका काव्य ऐसा वैसा है परस्तु वयपिं दुर्भ उस पर हेंसेंगे लथाफि
सन उसकी प्रशुंा करेंगे ! श्रपनी कदिता के बारे में कवि की एक
यर्बोंकति भी दै-वियारपाति की कविता पर दुर्जल को ढेंसी का कु प्रभाव
३. विद्यापति के विपय से ऊपर नो झुे लिया गया है उसमें शी
इरप्रताद शात्री जी की 'कीर्दिलदार की भूमिका से तथा. ऑीरामइतत
सर्मा देनीपुरी के निद्यापति की भूमिका से पूरी ठहायता ली गई है
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