भारतीय कला | Bharatiya Kala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ले वदाकदरकपनस कं 0 ५१, दर रे प्र ५ ५६, ७, ५८, प्र, द्रू०य ६. धर, दे, ६, द्. द्द ६७, घ्८ ७०, ७१ ७२. ७-७४, ७५, ७६ ७५४७, ७८ ७९, ८ है+ ८ रे. ८ २-८, (१३ वही, मूल रूप में । पाटलिपुत्र का प्राचीन साखू के ल्झाँ का बना हुआ परकोटा या शाल-प्राकार । बुलन्दीबाग, पटना | लगभग चौथी झती ईसवी पूर्व का अन्तिम भाग । अशोककालीन ओपदार स्तम्भ शीपंक । रामपुरवा । तीसरी शती इसवी पूर्व । बूष युक्त स्तम्भ शीर्षक । रामपुरवा । तीसरी शती ईसवी पूर्व | सारनाथ सिंह शीष्रंक । तीसरी शती ईसवी पूर्व । लोमश ऋषि गुफा का मुद्दार ( निकट से ) । बराबर पहाड़ी, गया । तीसरी शती ईसवी पूर्व । पाषाण-मस्तक । पाटलिपुत्र । तीसरी झती ईसवी पूर्व । यक्ष-मूर्ति । बम्बई के निकट संभवतः प्राचीन झूर्पारक स्थान से । तीसरी डाती ईसवी पूर्व । यक्षी मूर्ति । दिल्‍ली के पास मेहरौली से। गुलात्री रंग का बलुआ पत्थर । तीसरी-दूसरी शती इंसवी पूर्व | दिमुखी यश्नी मूर्ति । पश्चिम से सम्मुख दर्शन । दूसरी शती ईसवी पूर्व । वज़ासन या बोधिमण्ड । बोघगया । तीसरी दाती ईसवी पूर्व । पापाण-वेदिका । पाटछिपुत्र । तीसरी झती ईसवी पूर्व । मथुरा के देव निर्मित जैन स्तूप की पुनः अभिरचित वेदिका । देखिए, प्र० २१८ आदि । लखनऊ संग्रहालय | पापाण-वेदिका | बोघगया । द्वितीय-प्रथम झती ईसवी पूर्व । भरहुत स्तूप की अभिरचित वेदिका | द्वितीय झती इसवी पूर्व । कलकता संग्रहालय । हैँसतामुख्ी बाउक | सूण्सय मूर्ति । पटना | द्वितीय दाती इंसवी पूर्व । मुण्मय स्त्री मूर्ति । बुलन्दीबाग । द्वितीय झाती ईसवी पूर्व । मृण्मय मावदेवी । मथुरा । मृण्मय स्त्री मूर्ति की अंग यष्टि ( अंगढ़ेट ) । गंलकपुर । ढगभग दूसरी शती ईसवी पूर्व । सुदर्दाना यक्षी । भरहुत स्तूप | कलकत्ता संग्रहालय | भरहुत स्तूप का वेदिका स्तम्भ । राष्ट्रीय संग्रहालय । खण्डित स्तम्भ जिसपर लंघक नरों द्वारा सुमेर निर्माण का खेल अंकित है । भरदहूत से प्राप्त । प्रयाग संग्रद्दाछय । वेदिका स्तम्भों के गोल परिचक्र | मरहुत । कलकत्ता संग्रहालय । साँची के मददास्तूप के पूर्वी तोरण के बाँयें खम्मे का पूर्व-मुखी दर्शन । साँची के महास्तूप के दश्चिंग द्वारततोरण के दाहिने स्तम्भ का पूव-मुखी द्शन । साँची के महाचेतिय के पूर्व द्वार तोरण की मुँडेरी का उत्तर-पूर्व से दर्शन । साँची के स्तूप संख्या रे के द्वार-तोरण का दक्षिणी दृश्य । साँची के महाचेतिय के द्वार-तोरण में बने हुए किंकर यक्षों की मूर्तियाँ । 3 श्र « साँची के महास्तूप के परिचमी तोरण के दक्षिणी स्तम्भ पर निचले भाग में अक्कित सिंह मूर्तियाँ । मृण्मय बुघभ । कौशाम्ब्री | युंग । मृण्मय स्त्री मूर्ति की मध्य यष्टि । हस्तिनापुर । तीसरा युग । मान्घाता का उत्तरकुद प्रदेश में गमन । भाजा विहार । द्वितीय दाती ईसवी पूर्व । दृश्यों की पहचान के लिए, देखिए प्र० १९१-९र३




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