धर्मशास्त्र का इतिहास भाग 1 | Dharmshastra Ka Itihas Bhag-1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६१०--१६४० (ई० उ०) १६१०--१६४५ (ई० उ०) १६५०--१६८० (ई० उ०) १७००--१७४० (ई० उ०) श७००--रै७५० (ई० उ०) ७९० (ई० उ०) १७३०--१८२० (ई० उ०) न ७ न मित्र मिथ का वीरमित्रीदय, जिसके भाग हैं तीपं प्रकाश, प्रापश्धितप्रकाश, श्राद्धकाश आदि । 2. प्रायरिचित, शुद्धि, श्राद्ध जादि दिपयो पर १२ मयूला में (यपा--नीठि- :. पर्मसिर्घु के लेसक काशीनाप उपाध्याय। मयूख, ब्यवहारमयूख भादि,) रचित मगवन्तमास्कर के लेतर नीलकष्ठ । 'राजपर्मंकौस्तुम के प्रणता अनन्तदेव। 4. बैद्यनाप का स्मृतिमुक्ताफल। तीर्पेन्दुयेखर, प्रायरिचिततेन्दुद्ेवर, श्रादन्दुशेसर आदि लगमग ५० प्रन्यों के लेखक नायेश मट्ट था नागोजिमट्र । मिताकषण पर 'बालम्मट्री नामक टीका के लेखक बालम्मट्र।




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