चन्द्रगुप्त मौर्य और एलेग्जेंडर की भारत में पराजय | Chandragupt Maurya aur Alexander ki Bharat mein Paraajay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दर चंद्रगुप्त मौर्य परखे । भभमिसार नरेश सिन्थ नद के परिचग में नियास करने वाले सपने पड़ौसी बयकों से भी मिज्नता स्थापित कर चुका था। उसने एलेकजेन्डर के फिल्द्ध बरपकों की सद्दायता के छिये सेन! मेनी थी, घौर सिन्थ नद के पश्चिम से भागे हुए छोगों मो भपने यहा छाथ्रय भी दिया था। एडेक्जेन्डर के सिन्थ नद पार करने पर उसने उसे उपददार मेजे, परन्तु साय साथ उपर उसमे मेजे हुए दूत को उसने कैद कर छिया, श्ौर पोरम से जा मिछने की तैयारी करने लगा । एलेकन्न्डर को उसकी दोहरी चार वा पठा लग गया, भीर पूरे इसके कि श्षमिसार नरेश ऐोरस से ना कर मिंठता, एलेकजेन्डर घौर भाग्मी झीघ्रता से भपनी सेनाओं सहित झेठेम के तट पर पोरस के सम्मुख था हटे | इस प्रकार पोर्स भरे रद्द गया । एलेमुजेन्डर की. सेना पोरस की सेन। से कई युण। भविक थी । जैसा कि. प्छगर्क से इमें ज्ञात होता है एलेकलेन्डबर ने १२०००० पैदल भर १५००० घुडसारों के साथ मारत में प्रवेश क्या | इसके त्तिरिक्त शेठम के युद्द मे उसके साथ तक्षशिढा थी सेना भी थी। पाप्त केब्रढ शु०्००० पद्छ प्छटारक॑ के अनुसार ऐोरस के भी पोरस उसका एक शक्ति- गौर २००० घुड्सगार थे। फ्र्‌ दी एलेजूजेन्डर को झेल्म का शारी शत या । प्रारम से सुदद अति कठिन प्रतीत हुआ । पोरस वी उपयुक्त रूप से व्यय स्थित सेना के मुकपिदे में झेठम को पार फरना दी एलेकूजेन्डर त से हमे माइम द्वोता को भसाप्य दो गया 1 नसा कि कर्टिय




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