योगचिंतामणि | Yogachintamani

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : योगचिंतामणि - Yogachintamani

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. सीताराम चतुर्वेदी - Pt. Sitaram Chaturvedi

Add Infomation About. Pt. Sitaram Chaturvedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भझो। 0 योगाचिन्तामाणे । आाषादीका सहित । नकेकेूद- सद्लाचरण यत्र वित्र समायान्ति तेजांसि च तमांसि च ॥ महीयस्तदहे वन्दे चिदानन्दमयं महः ॥ १॥। तेज ( प्रकाश ) और तम ( अन्धकार ) यह दोनों जिसमें छीन हो जाते हैं उस बड़े तेज-समूद चिदानन्दमय परमात्मा की मैं वन्दूना करता हु॥१॥ जगल्तरितियलोकानां पापरोगापजुत्तये ॥ यदाक्यमेषजं माति श्रीजिन सः श्रियडस्तु वः पर त्रलोकी के मचुप्यो के पापरूपी रोगों को जिनका वचन औषधि के समान शोभा को प्राप्त दोता हे ऐसे श्रीजिन तीर्थंकर आप सबको कल्याणद्ायक होनें ॥ २ ॥ सिद्धोषघानि पथ्यांन रागडेषरुजो जयेत्‌ ॥ जयन्ति यडचांस्यत्र तीर्थकृत्सोउस्तु व श्रिये ॥२॥। जिनका वचन सिद्ध औषध और पथ्यरूप से रागद्परूपी रोगों को जीत लेता है एवं जिनके वचन से भक्तजन जय को प्राप्त होते हैं ऐसे तीथेंकर इस खंसार में आप सबको लक्ष्मी देनेवाले होवें ॥ ३॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now