महाराज अजित सिंह और उनका युग | Maharaja Ajit Singh Aur Unka Yug

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Maharaja Ajit Singh Aur Unka Yug by गौरीशंकर सत्येन्द्र - Gaurishankar Satyendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ृ विषय -प्रवेश सतु १६७८ ई० में रानस्थान भारतवर्ष में २३ श्रंश ३ कला से ३० भ्ंश १२ कला उत्तर ध्रक्षांश तथा ६६ ग्रंश ३० कला से ७८ झंदश १७ कला पूर्व देशान्तर के बीच के विस्तृत प्रदेश पर बहुत समय पहले से ही राजपुतों का प्रभुत्तत रहा है । इस प्रदेश में विभिन्न छोटे- बड़े राज्य थे जिन पर भिन्त-भित्न राजपूत वंशों का श्रधिकार था । इन सभी राज्यों कै अपने-श्रपने नाम थे परन्तु समग्र रूप से यह राज्य बादशाह श्रकबर के शासन काल से पुर्वें कभी भी एक नाम से नहीं पुकारा गया । सच्चु १४५८० ई० में भकबर ने प्रास्तीय शासन का संगठन करते हुए इन राज्यों के कुछ भागों को संगठित करके झजमेर-सुबा नाम दिया । उल्लिखित प्रदेदा के प्रथम इतिहासकार कर्नल टॉड ने इसे सर्वेप्रथम राय- थान श्रथवा रजवाड़ा नाम से श्रमिद्ित किया । यह नाम विभिन्‍न राजाओं श्रथवा उनके राज्यों के स्थान का सुचक है । कालान्तर में प्रंग्रेजों ने सम्पूर्ण प्रदेश में राजपूत शासकों का श्राधिपत्य देख कर इसे राजपूताना चाम दिया । धीरे-घीरे यही नाम इस प्रदेश के लिये प्रचलित हो गया । 2 राजपुताना के पश्चिम व उत्तर के भाग में जसलमेर जोधपुर तथा बीकानेर उत्तर-पुवें के भाग में बेखावटी व भ्रलवर तथा पूर्व-दक्षिण के भाग में जयपुर भरतपुर घौलपुर करौली दूं दी कोटा व भालावाड़ के प्रदेदा हैं । प्रतापगढ़ बाँसवाड़ा डगरपुर व उदयपुर के प्रदेश राजस्थान के दक्षिणी भाग में हैं सिरोही का प्रदेश दक्षिण-पश्चिम में श्ौर श्रजमेर मेरवाड़ा किशनगढ़ शाहपूरा तथा टोंक के प्रदेश मध्य में स्थित हैं । महाराजा जसवन्तसिंह के श्रन्तिम दिनों में सचु १६७८ ई० में राजपुताने में मारवाड़ राज्य के अतिरिक्त बीकानेर जसलमेर सिरोही उदयपुर ड्ंगरपुर प्रताप- गढ़ बाँसवाड़ा बूंदी श्राम्बेर किदनगढ़ व रतलाम के राज्य प्रमुख थे । इन राज्यों में विभिन्‍न वंशों के राजपुत शासक राज्य कर रहे थे । जोधपुर बीकानेर किदयनगढ़ १. इम्पीरियल भाग २१ ८२-३ ओझा. भाग १ ३ जसवत्तरसिंह १ । २०. आईन भाग २ १९६ व २७३ सरन १२६-८ पुर्व ६७-८ जयसिंह १३ जसवन्तसिंह ६ । ३. टॉड भाग १ १ ओझा भाग १ १-२ पुर्वे-६७-८ टि जयसिंह १३ जसवन्तसिह १ 1 ४. इस्पीरियल-भाग २१ ८३ ओझा भाग पु ४ ।




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