तुलसीदास और उनका युग | Tulasidas Aur Unka Yug

Tulasidas Aur Unka Yug by डॉ. राजपति दीक्षित - Dr. Rajpati Dikshit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हु गा स् मुख्मीदासजीकी साहित्यिकताका घिचार भी अभीतक विस्तृत अनुसम्धानार्मक इष्टिसि सहीं डआा है | इस प्रबन्ध उसके लिए भी प्रयास किया गया है । ऐतिश्य और पुराणका कितना प्राचीम अंदा उन्होंने ग्रहण किया और कित्नेकी अपनी बुद्धिसि नवीन व्यवस्था की इसका भी विवेचन इसमें है । भक्ति-भावना के साथ साहित्यिक समृद्धिका केसा योग है इसका सोपपत्ति ओर सोदाहरण विवेचन भी इस प्रबन्धकी नूवनता है । इसके लिए प्रयूत. प्रचुर और परिमाणाधिक श्रन्थराशिका किस प्रकार अध्ययन मनन आलोड़न और सश्चय-संग्रह किया गया है ओर यथोपलब्घ सामग्रीको किस प्रकार रादीभूत कर देनेकी चेष्ठा की गयी है यह द्र्टव्य है | इससे कबिके राजनीतिक सामाजिक आध्यात्मिक साहित्यिक आदि सभी प्रकारके विष्वारोका नतन दृष्टिसे अवलोकन करनेका अवसर प्राप्त होगा--ऐसा विष्वास करके यह प्रबन्ध लिखा गया है । चैत्र पूर्णिमा मल इक थे राजपति दी शित




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