मानव एवं आर्थिक भूगोल | Manav Avam Aarthik Bhugol
श्रेणी : इतिहास / History, भूगोल / Geography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.88 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श थीं। ने वातावरण में उपस्थित वह कच्चा माल समभका जाता था जिसे मनुष्य उपयोगी वस्तुएं बनाने के लिए उपयोग करता था उदाहरणार्थ खनिज और ईधन बस एवं चरागाहूं वन्यप्राणी मछलियां आदि । अब प्राकृतिक संपदा के अन्तर्गत संपूर्ण वातावरण लिया जाता है अर्थात पृथ्वी की संपुर्ण सतह प्राकृतिक संपदा का अंग मानी जाती है क्योंकि इसके प्रत्येक भाग का मानव के लिए कुछ न कुछ उपयोग अवश्य होता है और इसी पर मनुष्य अपने लिए विभिर्न प्रकार की उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन करता है। इस दृष्टिकोण से वायुमंडल समुद्र तथा पृथ्वी के धरातल के विभिन्न क्षेत्रों एवं उनके गर्भ में पायी जाने वाली विभिन्न प्रकार की जैवीय एवं अजैवीय वस्तुओं को प्राकृतिक संपदा का बहुमूल्य अंग माना जाता है । इन सभी साधनों का प्रबंध एवं उपयोग बड़ी सावधानी से किया जाना चाहिए जिससे उनके द्वारा विभिर्त प्रकार की आवश्यकता की चस्तुएं प्राप्त करने के साथ उन्हें आगे आने बाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके । साधनों का वर्गीकरण जिस वातावरण में हम रहते हैं उसमें अनेक प्रकार के प्राकृतिक साधनों का भंडार है। एसें साधनों की सुब्यवस्थित्त जातफारी प्राप्त कर के लिए एके गई श्रेणियों सें बांटा जाता हैं । (1) जीवीय और आजीनीय साधन (2) समाप्त और असमाप्त होगे वाले साधन (3) संभाव्य भर विकसित. साधन (4) कच्चा माल और कर्ज के साधन (5) कृषि ओर पदुचारणिक साधन तथा (6) खनिज और औद्योगिक साधन । जीवीय और आजीवोय साधन साधनों के वर्गीकरण में परंपरागत तरीका उन्हें जीवीय और आजीवीय साधनों में बांटा जाना है । जीचीय साधन जीवीय प्राकृतिक साधनों को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है । वन और उनसे प्राप्त विभिरन उत्पाद कृषि से संबं घित विभिन्न फसलें पशुओं मानव एवं आधिक भूगोल का चारा वन्य एंव पालतू पु-पक्षी सरी सुप एंव मछलियां सभी जीवीय साधन के अंतर्गत आते है। इन सभी को जब तक वातावरण की अचुकूल दशाएं एवं पर्याप्त बीज स्रोत मिलते रहते है उनका पुनरुत्पादन और पुनजेन्म होता रहता है। इसलिए सभी जीवीय साधन नवीकृत होते रहते हैं। जीवीय साधनों का नवीकरण उसकी जाति और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होता है। बारहमासी पौधों एवं वुक्षों की नवीकरण-अवधि बहुत छोटी होती है । सेपिल वृक्ष जिसे कश्मीर घाटी में चिनार कहते हैं की तवीकरण अवधि बहुत लंबी होती है। इसलिए इनको सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने चिनार वृक्ष के काटने पर प्रतिबंध लगा दिया है । बहुत से जानवरों की जातियां भी विलुप्त हो रही हैं। उदाहरणार्थ शेर और चीता समाप्त हो रहे हैं। अत उनका संरक्षण अति आवश्यक है। हमें इनका शिकार नहीं करना चाहिए | आजीवीय साधन आजीवीय साधन के अंतर्गत बेजान चस्तुएं आती हैं । सामान्यतः थे वे साधन हैं जिनका नवीकरण नहीं हो सकता । खनिज एवं जीवाइम-इंधन जैसे कोयला पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आजीवीय साधनों के उदाहरण हैं जिनका सम्भव न्यूनतम नवीकरण होता है। यह साधन प्रयोग से समाप्त हो जाते हैं और उनके पुन बनने की प्रक्रिया अत्यन्त धीमी होती है । सभी यधिज पदार्थ आजीधीग साधन हैं ओर उनका लधीकरण नहीं हो सपा । पछ आजीवीस पर्णिछ पैसे लोहा और अत्युमीनियस को धरातल पर बहुत ही सिस्तृत वितरण है । दराके दूसरी ओर सोना चांदी प्लेटीनम आदि कुछ ऐसे खनिज हैं जिनका भंडार अत्यन्त सीमित है। आाजीवीय साधनों जैसे शंलों और खनिजों की उपयोगिता उनके संकेंद्रण और उन तक पहुंचने की सुगमत्ता पर निर्भर करती है। आजीवीय साधनों को एक बार प्रयोग करने के बाद फिर से नहीं बनाया जा सकता अतः वे समाप्त होने वाले साघन कहलाते हैं । कर्नाटक राज्य की कौलारः की खानों में अब सोने के भंडार लगभग समाप्ति पर हैं और इसी प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका की मसाबी श्रेणी की लोहे की खानें । ये लोहे के भंडार लगभग समाप्त हो चुके हैं। कुछ आजीवीय साधनों का नवीकरण होता रहता है
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