मानव भूगोल के सिद्धांत | Manav Bhugol Ke Siddhant

Manav Bhugol Ke Siddhant by डॉ आर के मुखर्जी - Dr. R. K. Muherjee

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ आर के मुखर्जी - Dr. R. K. Muherjee

Add Infomation AboutDr. R. K. Muherjee

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मानव भूगोल तथा राजनात . पिएण्य्ाण 06०20 अत ?०पघं८४1 5टं०0८6 एक प्रगतिशील समाज में मनुष्य केवल भोजन वस्त्र ही शरण से ही संतुष्ट नहीं हो सकता है उसकी श्रावश्यकताएँ अझ्रगणित होती हैं । फलस्वरूप मनुष्य तथा वातावरण का ही नहीं श्रपिठ॒मूनुष्य का मनुष्य से सम्बन्ध अपेक्षाझत अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है । एक क्षेत्र की सम्पन्नता का दूसरे क्षेत्र की सम्पन्नता से गहरा सम्बन्ध है । समस्त उद्योग-घन्धों व्यापार तथा श्रावागमन के साधनों का श्राघार. . पारस्परिक सहयोग ही है । इसका तातर्य यह हुश्रा कि एक सब के लिए श्रौर सक एक के लिए हैं । परन्ठ जब हम इस सिद्धान्त का प्रतिपादन अन्तर्राष्ट्रीय श्राघार पर करना चाहते हैं तो हमें निराशा ही हाथ लगती है । यदि इस सुन्दर समन्वय की उष्कप्ट मावना होती तो राज विश्व की शान्ति क्यों खतरे में पड़ती ? जब हम विश्व अशान्ति पर विचार करते हैं तो इसका कारण विभिन्न राष्ट्रों की स्वा्थ-लिप्सा में मिलता है | जो राष्ट्र आज झ्पने भौतिक साधनों से लाभ उठाकर महान राष्ट्र बन गए. हैं वे पिछड़े हुए देशों पर झपना आधिपत्य कायम रखना चाहते हैं । इन राष्ट्रों तथा इनकी भौगोलिक परिस्थितियों के पारस्परिक सम्बन्ध के श्रध्ययन का नाम रज- नैतिक भूगोल है जी मानवभूगोल की ही एक शाखा है | मानव भूगोल तथा मानव शाख् लिप्णघण ७०818 ब5ते तप०09010्ठुप 5 0१६४१0०000छुए 15 दप6 & ंधट 0 80फ05 0६ घाट 80 धि६ 0ट8ए0ण इत्तें 9१०त०८४००५.१ इस परिमाषा से यह स्पष्ट है कि मानवशास््र का छ्षेत्र बहुत विस्तृत है श्र बह मनुष्य का व्यक्ति के रूप में नहीं एक समुदाय के रूप में अध्ययन करता है । मानवशाख्र के झन्तगंत जो अनुसन्धान किए गये हैं _ उन्होंने मानवरुमाज की विभिन्न जातियों के विकास पर प्रकाश डाला है । चूंकि मानव भूगोल भी मनुष्य की जातियों ह4८65 ०६ 24 पते का अध्ययन आआव- श्यक समभता है झ्तः वह मानवशास्त्र के निकट सम्बन्ध में आ जाता है । एक श्रफ्रीका का हन्शी 2०8४० विषुवत रेखीय प्रदेश में घणटों कठिन परिश्रम कर सकता दे परन्ठु यदि वहाँ एक यूरोपियन अपनी हैट कुछ मिनटों के लिए उतार ले तो वह छुई-मई के पौधे की माँति कुम्हला जाता है । इससे विजाति-विवर्ण पर वातावस्ण का मभाव मान्य है मानव यूगोल के झष्ययन का उद्देश्य यह है कि वह इस बात का निरशंय करे कि वातावरण कहाँ तक मनुष्य की क्रियाओं को प्रभावित करता है तर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now