भारत के देशो राज्य | Bharat Ke Deshi Rajya

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Bharat Ke Deshi Rajya by सुख सम्पतिरय भण्डारी - Sukh Sampatiray Bhandari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कडौदा राण्स का एसिदासव मे... आदर सी भेजा था । इस चत्सव में सस्सिलित होने के लिये महाराजा ने रेसिडेल्ट साइव को निसन्त्रित किया, किन्वु वे न आये । उस समय रेसिडेग्ट के पद पर कल फेर थे | इसके पश्चातू मद्दाराजा पर रेसिडेन्ट पर विष-प्रयोग करने का भारोप रखा गया । रेसिंडेन्ट ने इस घटना की सृष्चना झ्ारत-सरकार को सी दे दी । इस सनसनी फेलानेवाले-समाचार से चारों ओर खलबली मच गई भर भारत-सरकार ने इसकी जाँच करने के लिये एक कमीशन नियुक्त किया । एस कसीशन में ६ सदस्य नियुक्त किये गये, जिनमें ३ अंग्रेज और ३ हिंदुस्तानी थे । हिंदुश्तानी सदस्यों में महाराजा जयाजीराव सिंधिया, जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंदजी और रावराजा सर दिनकरराब जी थे । यध्यणि सहाराजा-सरहार राव एक प्रजाप्रिय नरेश न थे, तथापि जनता और हिन्दुस्तान के अन्य सम्ध्ान्त व्यक्तियों ने उनके श्रति पूरी हसदुर्दी प्रकट की । कमीशन के सामने इनकी खुली तौर पर जाँच हुई । बाइस दिन तक इनका केस चला । इसमें महाराजा की ओर से इंगलेएड के सुप्रसिद्ध बैरिस्टर सारजन्ट बेलेन्टाइन आये थे । इन्होंने महाराजा का खूब नचाव किया । बम्बई के सालिसिटरों और अन्य दुसरे वकीलों ने भी सि० बेलेन्टाइन की सद्दायता की । ई० स० १८७५ की २४ वीं फरवरी को बड़ौदा रेसिडेन्सी के एक विशाल-सवन में यह जाँच शुरू हुई । जाँच के काय्य में सर दिनकरराव जी ने बड़ी कार्य्य- दक्षता दिखलाइे । मद्दाराजा जयाजीराव सिंधिया और सवाई रामसिंह जी मे थी बड़ी दिलचस्पी के साथ काय्य किया । जॉच पूरी हो जाने पर हृरक्रए सदस्य ने अपनी राय भारत-सरकार को लिख भेजी । इसमें तीन युरोपियन खद्स्यों से सद्दाराजा को गुनद्गोर ठहराया, किन्तु नाकी के तीन प्रभावशाली देशा-राज्य-सद्स्यों ने उन्हें निर्दोषी माना । जब यह मामला थारत के तत्का- लीन वाइसराय लॉड नॉथत्रूक के पास पहुँचा तन ने सिन्न ९ रायों को देस्स यूठे असमंजस में पड़ गये । वे इस कमीशन की जॉँच के भधार पर महा- राजा के ऊपर किसी तरइ का आरोप न रख सके । आखिर में इन्होंने 'कुशा- ११




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