मनोविज्ञान संजीवनी | Manovigyan Sanjeevani

Manovigyan Sanjeevani by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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काशी सनोधिज्ञानशाला का कार्यबिबरण १४ नहीं वरन्‌ सुदूर दक्षिण प्रान्तों से जिज्ञासुझं के पत्र आते हैं । उनका तुरन्त उत्तर देना नितांत झ्रावश्यक होता है । फिर भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से अपनी कामियों श्र जिज्ञासाओं को लेकर भिन्न-शिन्न प्राप्त के लोग झाति हैं, उनका उत्तर देना हमें नितांत श्रावश्यक होता है। शाला का उद्देश्य आरत के नवयुवकों को श्रन्धविश्वास से सुक्त कर सत्पथगामी बनाना है । कुछ उत्साही नवयुवकशाला में श्राकर ही झाश्रम जीवन व्यतीत करते हैं । इनमें से कुछ एक पक्ष, कुछ एक - दो महीने श्रौर कुछ ४-६ सहीने ठहरते हैं । यहाँ पर उन्हें नियमित जीवन रहने का श्रौर रचनात्मक काम करने का अभ्यास कराया जाता है तथा “शाला” की साघनाश्रों द्वारा इनके रोग की समाप्ति की जाती है शाला से लाम पानेवाले व्यक्ति भारतके प्राय: सभी प्रान्तके हैं । इनमें पंजाब, : उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहारके विशेष है। कुछ लोग नेपाल, श्रासाम, बंबई, झ्ान्श्-प्रदेश के थी श्ाते हैं श्रथवा पत्र-व्यवहार द्वारा परामश पाते हैं। पत्रिका के द्वारा ही हमारा इन लोगों से सम्पक होता है श्र बना रहता है | ली . सनोधिज्ञानशाला द्वारा उपचारित निम्नॉंकित मानसिक रोग है--इठी विचार, डिस्टी रिया, सूछा, हकलाहट, छाकारण भय, च्चिन्ता, दाम्पत्य सम्देह, नपुंसकता, हैपो केन्ड्रिया, न्यूरेसथेनिया, सिरकी पोड़ा ( मेग्रेन ); छृदयकी धड़कन, प्रमेह, स्वप्नदोष श्रौर भयावने स्वप्न । प्रब्धन्सणिति-सद्र्य १, श्री डा० राजबली पार्डेय--सभापति २...» राजाराम शास्त्री-उपसभापति ३, ,; लालजी राम शुक्क-मन्त्र ४. ;; प्रणुवीरसिंह चौघरी--सहायक मंत्री ०, श्री डा० हजारीप्रसाद द्विवेदी ',..,; मोतीचव्र शर्मा ७...» त्रिंज मोहन केजरीवाल स,. ;; अ्नरुद्ध कुमार रस्तोगी ६... ;; “रामझष्ण गोयल . १०, ,;;. रतनचन्द्र खल्लोत्रा ११... ,; रमापति शुक्ल




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