इन्सानियत फिर भी जीवित है | Insaniyat Phir Bhi Jeewit Hai

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Insaniyat Phir Bhi Jeewit Hai by करुणेन्द्र - Krunendra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about करुणेन्द्र - Krunendra

Add Infomation AboutKrunendra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
$ यह बड़े असमंजस में पड़ा रहा श्रौर सोचता रहा कि' क्या करे और वया न करे | मेने तो उनकी दातों से ही श्रत्दाज लगा लिया था । श्र फिर उनके हाथ, सु ह तथा जबान तीनों एक साथ ही काम करने में अपनी होड़ लगा रहे थे । लेकिन मुभे इससे कया पड़ी । यह तो रेस्ट्री है । कोई भी श्रपने को दारीफ जाहिर करके भरा सकता है ।” उधर वे लोग गप्में मारते हुए जामा मस्जिद तक श्रा गयें थे-- कहो भाई खुब फंसी श्राज मुर्गी” किशोर बोला, “श्रौर वाह तुम लोग तो भ्रच्छे रहे, में ही मुसीबत में श्रा गया था । मुर्गी फंसने की क्या मेरे लिए एक ्रापदा बन गई थी । लेकिन भगवान का शुक्र किसी प्रकार वहाँ से निकल भाये । देखो बेटा, तुम्हें आ्राज मेंने लेखक भ्रीर संपादक बना दिया है, झब पिक्चर दिखानी पड़ेगी । और वह भी कया बुद्ध तुम्हें बिल्कुल ही ऐसा समभक् गया ।” “भरे चल, तेरी इसमें वया यह शान है ! मैंने वो गएयें मारीं कि वह भी क्या याद करेगा । मगर श्रादमी मनहूस है । कहाँ तुमने भिड़ा दिया । किसी ऐसे से परिचय करवाते कि कान से वह श्रपने पैसों से पिक्चर दिखवाता श्रौर किसी लौंडिया के चक्कर सें डालकर पैसे भी खुब : ऐंठे जाते ।'--क्रपिल बोले, “वाह बेठे, खूब रहें, मजे के मजे मारे श्रौर ऊपर से पह्हसान नहीं ।'' रमेश यड़ी चिन्तित श्रवस्था में था । वहू सोच' नहीं पा रहा था कि क्या करे श्रौर बया न करे । उसे दिल्‍ली श्राये हुए लगभग ढाई वर्ष हो गये थे; किस्तु वह झपने को यहाँ के रँग में न रंगा सका था । उसे ऐसे शरीफ गशिरहकफटों से बचने के दाँत न मालूम थे ! वरना बहू यह भी कह कर छुट्टी ले सकता था--“श्रच्छा आप क्षमा करें ती में चाय पी लू ।” श्थवा जब उन्होंने घाय के साथ श्रत्य वस्तुओं का श्राडर दिया था तो जल्दी से' ही प्रपनी चाय समाप्त करके चार कपों की चाय को पेमेन्ट करके यहाँ से चल. देता । समय के इस निष्ठुर व्यंग्य से उसका मन बहुत दुखी हो रहा था । उसने यहाँ पर कई बार चाय पी थी, लेकिन उसे छा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now