जैन धर्म क्या है | Jain Dharma Kya Hai

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Jain Dharma Kya Hai by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१३) एकको भी दिला सके निनके लिए नीवात्माएं: मारे मारे फिर रहे हैं । सप्ठुनित प्रणाठीका ढंग कारण-कार्य्यक सिद्धात्तपर निमर है| उपयुक्त वर्णति कारणदश ही भेन धर्ममें किपी भी व्यक्ति सुख अधवामोक्षकी याचना करनेफ़ा अधया तरप्राप्ति हेतु उनकी पूना करनेका निषेध है | ये सुख ओर मोक्ष आत्मा की निन वस्तुएं हैं। इप्र कारण वाह प्रकरण पि प्राप्त नहीं हो मक्ती | अतः अन्य प्रमिलित 'सडास्तिक महोंकि सटश नन भर्म परमात्मपदुका निरूपण नहीं करता है और उन प्रवे पृथण सिद्दोकी उपासना उसी दंगसे करनेका पेश देता है रिंप्त दंगसे हम अपने गुरुभकी विनय काते हैं | सर्वोचतम दिद्वानू गुस्के लिए परमोत्टष्ट विनयकी जावश्यक्ता बधेप्ट ही है।




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