भारत की वैज्ञानिक विभूतियाँ | Bharat Ki Vaigyanik Vibhutia

Bharat Ki Vaigyanik Vibhutia by इन्द्रजीतलाल - Indrajeet Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विज्ञान अपने साथ इतने अधिक परिवर्तन लेकर आया। यहा तक कि मनुष्य के रहन-सहन के ढंग पर भी उसका गहरा प्रभाव पडा। इन वंज्ञानिक खोजो ऐश-आराम की वस्तुओ और कलो-मशीनो के प्रयोग का मनुष्य की जिन्दगी के हर पहलू पर बहुत प्रभाव पडा। हा इसका सर्वाधिक प्रभाव मनुष्य के रहन-सहन पर पड़ा और खाने-पीने उठने-बैठने यात्रा करने ऐश-आराम करने उद्योग और व्यापार करने, यहा तक कि जीवन के हर पहलू में विज्ञान के नये तौर-तरीके नये रग-ढग और एक नई सस्कूति टी। खुराक में विटामिन के तत्त्व, जो प्रथम विश्व युद्ध तक नहीं मालूम थे, आज मनुष्य को स्वास्थ्य और तन्दुरुस्ती की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होते हैं। प्लास्टिक की हल्की सस्ती और खूबसूरत वस्तुए धातुओ का अच्छा विकल्प सिद्ध हुई है। एक वैज्ञानिक आलोचक लिखते है-“आधुनिक युग में मनुष्य की जिन्दगी के हर पहलू को विज्ञान ने प्रभावित किया है। इसने मनुष्य की भावनाओ व चिन्तन में एक प्रकार की हलचल पैदा कर दी है।' वस्तुत विज्ञान अपने साथ एक क्रान्ति लाया हैं और वैज्ञानिक शोधो ने पूर्णता की सीमा को भी छू लिया है। आज ये शोध इस सीमा तक बढ चुके है कि वैज्ञानिक इस विषय पर विशेष रूप से माथापच्चीं कर रहे है कि पौधो और जानवरों की नसलो को बेहतर बनाने के लिए क्या उचित खुराक होनी चाहिए। किस प्रकार इनमे बेहतरी पैदा की जाये। स्वय मनुष्य की खुराक में कौन सी चीज कितनी मात्रा मे, किस आयु मे और किस वक्‍त मिलनी चाहिये। सक्षेप मे हम कह सकने है कि आज मनुष्य की दृष्टि और शोध इस पर है कि मनुष्य की खुराक सतुलित केंसे होनी चाहिये। जिससे उसमें सतुलित मात्रा में प्रोटीन, खनिज पदार्थ और विटामिन मौजूद हो। इसके साथ-साथ आज के मनुष्य पर विज्ञान का यह प्रभाव भी बहुत जोरदार सिद्ध हुआ कि बेहतर से बेहतर अनाज सब्जी और फल पैदा करके बेहतर से बेहतर जानवरों को पाले ताकि उनसे मास और ऊन प्राप्त कर सके। ललित कला पर भी विज्ञान का स्पष्ट प्रभाव पडा है। विशेषत पेन्टिंग, फोटोग्राफी पर विज्ञान का प्रभाव तकनीकी भी है और दार्शनिक भी। आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व रग चित्रकार की दृष्टि मे एक अर्थपूर्ण तत्व समझा जाता था और आब्सट्रेक्ट आर्ट में तो रगे के उतार-चढाव की महत्ता कई गुना बढ गई थी हालाकि इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं था। आज स्थिति यह हैं कि रगो की महत्ता काफी कम हो गई है, क्योंकि रग यद्यपि किसी दृश्य को चित्रित करने में लुभावनापन तो पैदा कर सकता है किन्तु दृश्य की पृष्ठभूमि जो अर्थ या प्रभाव उत्पनन करना चाहती है वह आवश्यक रूप से रगो ही से पैदा नहीं किये जा सकते। स्थापत्य कला मे भी विज्ञान का प्रभाव स्पष्ट रूप से लक्षित हुआ है। वह ऐसे कि आज के मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं और जरूरतों के अनुसार खुले, हवादार और स्वच्छ स्थान को प्राथमिकता दी है, न कि बीते समय के कलशों, मेहराबो और खूबसूरत दीवारों को। इस प्रकार आज के दौर में खूबसूरती के स्थान पर आवश्यकता और सादगी का महत्त्व बढ चुका है। स्पष्टत आज गगनचुम्बी इमारतों में मात्र खूबसूरत और महगी वस्तुओं के स्थान पर लोहा सीमेट और सीसे का प्रयोग होता है ताकि कम से कम खर्च में मजबूत और अधिक घेराव वाला स्थान उपलब्ध हो सके। व




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