धर्म इतिहास रहस्य | Dharm Itihas Rahasya

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प्रेमशंकरजी वर्मा - Premshankarji varma

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रामचंद्रजी शर्मा - Ramchandraji Sharma

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लाला तोतारामजी गुप्त - Lala Totaramji Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ * 3 “किससे छिपी है रोमन, प्रीक झौर पारसी '्रपने उत्कर्ष काल में मांस का सेवन नहीं करते थे । भारतवर्ष का इतिडास तो उसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि : इस देश जब से साँस का प्रचार बढ़ा तभी से यह गिरता 'दला गया । यदि श्राय्वे ज्ञाति में वाल-विवाहद करने श्र व्यायामादि 'मच्छे कार्य न करने की प्रथा न चल पुड़ती तो श्राज संलार में हमसे अधिक कोई सी बलवान न होता । इ--कच भंगरेज़ और उनके विचार शून्य मारतीय चेले कइते हैं कि कितने ही उपाय करी यह देश उन्नति नहीं कर सकता, इसकी जलवायु गर्म है | यदि इनकी हीं घातें ठीक होती तो टंडरा श्ौर प्रीनलेंड के मनुष्य ही शाज चक़वर्त्ती होते । यदि भारतवर्ष की भ्रूतकाल की उन्नति को देखना 'चाहते हो तो कृपया सि० घ्राउन श्लौर प्रोफेसर मेक्समूलर से तो पूछलो; चन्द्युप्त, श्रशोक, विक्रम, वालादित्य को तो तुम भी जानते डो जिन्होंने उन जातियों को परास्त किया था जिन से सम्पूर्ण संसार कांपता था | अच्छा भूतकाल को जाने दो '्राज भी संसार में यह मरा डाथी चरोरने से कम नहीं है। कया जगदीशचन्द्र चोस के समान कोई « फ़लासफ़र संसार में है | क्या कोई कवि सर रवींद्रनाथ ठाकुर के समान . है? क्या किसी जाति के पास प्रो ० राममूर्ति पर म० गांधी हैं । ८... भेलें मनुष्यों कृतप्न तो मत यनो, मित्र लोग फ्रांस के घोर युद्ध में जव जर्मनों की संगीनों की 'चलक को देख-देखकर लींडियों की भाँति नो रहे थे उन जमंनों श्र तुर्की को रुई के समान शघुनकर फेक देने वाले श्रद्दितीय थीर सिक्ख, जाट, राजपूत श्रौर गोरखों कीं भुजायें तो अभी तक 'यपने में उप्ण रक चहा रही हैं | ४-सचसे अधिक कायर वे सनुप्य हैं जो कहते हैं कि अजी परिश्रम करना ब्पर्थ दे यह सब कलियुग की लीला है। हम इन तत्व ज्ञान के देकेदार महाश्यों से पूछते हैं कि श्रीसानूजी धन्य देशों में कलि- युग कहाँ चला गया, इस पर घुदूढे बावा उत्तर देते हैं, भरे घुत्तर १ वे




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