नातन | Natan
श्रेणी : नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.13 MB
कुल पष्ठ :
344
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(५ )
राई का पवत बनने करे । पिता ने सुना दो घबरा कर बेटे को
कार्मेत्स वापस बुला लिया। घर में थोड़ेदी दिनों रहने से
उसके मातापिता को उसकी सच्चरित्रता का प्रमाण मिल गया,
भर उसे इस शत पर फिर लाइससीग जाने की ध्रवुमति
मिली कि वहाँ पहुँच कर चिकित्साशास्र का भ्रध्ययन शारंभ
करे । भ्तरव लाइससीग लोट झाकर चंद कुछ दिनों तक
चिक्त्साशाख्र का भ्रध्ययन करता रहा | परंतु केसा चिकित्सा-
शाख्र ? उसे यह धुन थी कि मैं नाटक लिखने वालों में नाम
पैदा करूँ । नतीजा यह हुआ कि जब त्रक नाइवर का थियेटर
रहा उसकों प्रायः सब समय नाटक धर तमाशेष्टी में बीतता । भझंत
में जब सचू १७४८ में नारक की कंपनी के टूट जाने से लाइप्त-
सीर में लेखिंग के मनोर'जन का कारण भी शेष दो गया, तब
वह वहाँ से विदेनवर्ग गया, श्रौर वहाँ से घरलिन पहुँचा । यहाँ
उसके मित्र मीस्यूस ने उसे एक समाचारपत्र के संपादन में लगा
दिया । वह इस काम में तीन वर्ष तक वहाँ रहा । वहीं रह कर
उसने रोलिन (२०100 ) के इतिहास का धनुवाद किया, कुछ
नाटक लिखे ( जो उसके प्रारंभ के नाटकों में सब से धरे समझे
जाते हैं ) श्रौर सील्यूस से मिलकर एक पत्रिका का संपादन
करना श्रारंभ किया जिसमें नादक और उसी संबंध के और २
विषयों पर लेख होते थे । परंतु यह पत्रिका शीघ्रह्दी ब दे हो गईं ।
सन् १७११ में उसे फौस गेज़ेट (055 (09261) में समालो चक
का पद सिला । इस संबंध से उसे कुछ उच्दकोटि के जरमन भर
फ्रान्सीती साहित्य की पुस्तकों के देखने का ्ववसर मिला । इन्हीं
दिनों और इन्हीं कारणों से उसे बुल्तर (४०112106) श्र उसके.
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