घरेलु इलाज | Gharelu Elaj
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.88 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चाहरी कारणों से भी रोग पैंदा होते हैं । भ्न्दर के
चिकारों को दूर करना आदमी के हाथ में हैं। बच
आदमी की गलती ते पैदा दोते हैं । संत के कायदों
को न जानने से दोते ई । उन पर मल सम करने से
होते हैं । कुछ चातें एसी है जिन पर झादमी का पूरा
काबू नहीं दोता । रोग के यहीं चाहरी कारण हैं ।
जहाँ वाद आई दो बहाँ सज्रिया फेलेगा । सखा पड़ने
से भी रोग पैदा दोते हैं । हेजा, प्लेग, चेचक और ऐसे
चूहुत से रोग खास समय पर फैलते हैं ।
इलाज श्या है ?
जिन कारणों से रोग पैदा होते हैं, उनको न होने
देना या उनके खिलाफ काम करना ही इतल्ताल है।
रोग दूर करने से रोग न होने देना कहीं अच्छा हैं।
रोग को आगे न बढ़ने देना चाहिये । इमके लिये
परहेज ( पथ्य ) करना चादिये । रोग को कम या
दूर करने के लिये दवाई देना चाहिये । जेंमे ही रोंग
हो, वैसे दी उसका इलाज करना चाहिये । रोग में
लापरवाद्दी या सुस्ती नहीं दिखानो चाहिये । इमसारे
दस पास चहुत सी चीजें हैं, जो छुगरत ने पैदा ची
हैं । सब तरद की जड़ी बूठी श्रार वमस्पतियाँ हैं।
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