संत तुकाराम | Sant Tukaram

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Sant Tukaram by शंकर राव देव - Shankar Rav Dev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४ ) बन-गया ॥ ४ ॥- लोगों को मुद्दे दिखाने में शर्स आते लगी । और जंगल के: किसी. कोने में घुस कर वेठ गया । इसी कारण एकांत .' सिला ऐसा 'समको ॥ ६1 भूख से पीडित हुआ । इस कारण कारुर्यभाव लुप्त हो गया । इच्छा हुई कोई बुला ले तो अच्छा ॥ ७ ॥ इस पौण्डुरंग की पूजा बाप दादा. से चलती आई ही थी। इसलिये. में भी कर॑ रहा हूँ । यह ' बहुत..भक्तिभाव. से करता हूँ ऐसा कोई नहीं समझें ॥ ८ ॥। 'साहकारी उनके ' घराने में पीढ़ियों से चली आयी थी । ठुकाराम के आठवें पूरवेज श्री विश्व॑ंभर वावा के ससय से उनके कुटु ब में विट्रल-भक्ति “अर पंढरपुर की यात्रा ( बारी ) का नियम चालू था । तुकाराम के शब्दों में 'बिडूल की भक्ति “वडिलांची मीरास”--पिता की विरासत थी | तुकाराम के पितां वोल्दोवा और साता कनकाईं दोनों वड़े ही सात्विकं वृत्ति के थें ।. साता पिता की सात्विकंता तुकारास- में प्रकट होती है. 1+ शुद्ध वीजापोटीं' फ़ें रसाठ गोमटीं”-उत्तम बीज से उत्पन्न फल भी. रसीला होता है: 1 कनकाई की संत नामदेव में विशेष सक्ति थी । ऐसा माना जाता है. कि वंहीं भंक्ति-प्रेस बाद में तुकाराम के हृदय में प्रतिष्ठित _ हुआ । तुकाराम की अभंग वाणी पर संत नामदेव का गहरा प्रभाव . क । तुकाराम के वड़े भाई सावजी और छोटे भाई कान्होवा थे । तुकाराम के आयु “के आरंमिक तेरद ब्ष माता पिता की प्रेमपू्ण . छुत्रछायां में अत्यंत सुख से व्यतीत हुये । बालक तुकाराम अच्छे खिलाड़ी भ रद्द होंगे ।: उन्हें _टिपरी, गेंद, मामा हुँवरी आदि प्राचीन महाराष्ट्रीयं :खेलों से संभवत: अच्छा परिचय था; क्योंकि इन संव खेलों के आधार ' पर ईश्वर का वर्ण उन्होंने किया है ।« इन वर्णेनों में उनके खिलाड़ीपन. .. की. अच्छी कलक दिखाई देती है। . ...... ही तुकाराम. के -अभंगों से प्रतीत होता है. कि उन्हें. काफी -संमय- तक . माठस्नेद सिला था । “माय बापें हीं अवघींदेवाचीं स्त्ररूपें होत”--माता :.. पिता /भगवान, के स्वरूप हैं ।. इस श्रकार के :उद्गारों से उनकी माठेभक्ति भी प्रकट होती है। ं तुकाराम-की: पहला विवाह -रखुमाई से हुआ,। सत्र: वर्ष की यु में उनके .मातापिता का :देहांत हो गया 1: इसके बाद : उनके -'चड़े भाई ' न २९७९... ५ बाठकीडेचे अ्रभंग (६ से १०६) .. पहएए




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