स्त्री दर्पण | Stri Darpan
श्रेणी : महिला / Women, शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.48 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३३ )
प्रार्थना ।
( श्रीमती रामप्यारी इलाहाबाद)
प्रिय चहिनों, झाइये पहिले हम दीनानाथ के शरण में हाथ जोड़
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फर प्राथना करें ताकि झाज हम पर जो घिपत्ति पड़ रदी हें
भगवान् शीघ्र अन्त करें ॥
सही नाथ दम अति दुख पाये , शरशा में तुम्हरे आये ।
नेन निद्दारि रूपा प्रभु करियो , भारत विपाति नशांयें ॥
उन्नति के ऊँचे चोटी पर , पहुँच पताल समाना |
वर्ष सेकड़न प्रायाह्चित कर , फन्दन दुख सम भाना ॥
सींद॒ भविद्या च्ं दिश छाइ , हाहाकार.... मचायो ।
फ्रेग महामारी हंजा हा, सुख वाये हा धायो ॥
कुष्ट दरिद्रता. तन व्यापी , भारत कस्पित कीन्दो ।
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स्वार्थ फूट निज दांव देखिके , चला कटारी दीन्हो ॥
जा भारत कर टेंर खुनत प्रभु , भगर नर तनु धारयों ।
सांत्वना सच विधि पशु देफे , मक्तन विपति संहारयो॥
घहि भारत के धिपति में प्यारे ; मौन कहां हो घारे |
कब थनि पुत्र आये माता के , खोले हों गोद मभारे ॥
जीहि भारत कहें स्वर्ग से बढ़ि के , जन्म भ्रामि निज मानयो ।
काहे. नाथ घिलम्ब लगायों ; लाज न हिय में झान्यो ॥
निज जन्म भूमि कर हीन दशा प्रभु , देख सकतु हो केसे ।
दीन मलीन . दीन झायोचत्ते , दुख नाशट्ट दो जेसे ॥
कर जार के दासी टेर करतु है , मातृभमि गर फांसी ।
झाइ छोड़ावह दें दीना निाधे , नाहित तुम्दरी हँसी ॥
म्रभाती ।
स्वदेश प्रेम गग, वह फ्रयों न नहाश्रो ।
भाव भूमि तीथे जान पुण्य मई तपों खान,
कि #५ कक,
घन्य ऋषि सन्तान हम, जिन जन्म हिन्द पाओं |
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