हिंदी महाभारत कर्ण पर्व | Hindi Mahabharat karna Parv

Hindi Mahabharat karna Parv by कर्णपर्व - Karna Parv

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कर्णपर्व - Karna Parv

Add Infomation AboutKarna Parv

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
चऋ- बच, चवसध क्पर्व ] पाँचवाँ अध्याय शतराष्ट्र के अश्न के '्रनुसार कारव दुढ के मारे गये ये।द्धा्ओों का वर्सन वैशम्पायन कहते हैं कि महाराज ! महामति सखय के वचन सुनकर राजा घरृतराष्ट्र शोक से विहलल हो उठे। उन्होंने कहा--दे तात ! मेरी दुर्नीति श्ौर शीघ्र ही सत्यु के मुख में जानेवाले मेरे पुत्र हु्ोधन के अन्याय का ही यह फल है कि झाज वैकर्तन कर्ण की सत्यु सुनकर उस कठिन शोक से मैं व्याकुल दो रहा हूँ--वह्द शोक मेरे सर्मस्थल को काटे डालता है। सुभो दुःख के पार जाने की इच्छा है । मेरे आगे तुम यह कद्दी कि कौरवों श्र सृखयों में कौन-कौन वीर पुरुष मारे गये हैं घ्ौर कौन-कौन श्री जीते हैं। यह दृत्तान्त सुनाकर मेरा संशय दूर करो । सचय ने कहा--राजन्‌ ! महाप्रतापी दुद्धंप भीष्म पितामह ने दस दिन में पाण्डवों की सेना के एक श्रबुद वीरोां को मारा श्रौर अब थे रणशथ्या पर शयन कर रहे हैं । महाधवुद्धर द्रो्ाचार्ये ने पाध्वाल्लों के कुण्ड के कुण्ड रथी याद्धाओं को मारा था । इस तरह घोर युद्ध करने के बाद पन्द्रहवें दिन वे भी मारे गये । भीष्म श्रौर द्रोण के हाथों से जो पाण्डव-सेना बच रही थी उसमें से श्राधी सेना मारने के घाद वीरवर कर्ण की सत्यु हुईं । मद्दाराज ! मद्दाबली राज- कुमार विविंशति ने द्वारका के यादवों के सैकड़ों याद्धा मारे श्रौर अन्त को वे खरय॑ युद्ध में मारे गये। आपके पुत्र शूर विकर्ण के बाण चुक गये थे तथापि क्षत्रिय के धर्म को स्मरण करके उन्होंने रणभूमि नहीं छोड़ी श्रौर वे उसी दशा में शन्नु के हाथ से मारे गये । दुर्योधन के द्वारा प्राप्त महाघोर बहुत से क्लेशों को श्रौर भ्रपनी प्रतिज्ञा को स्मरण करके वीर भीमसेन ने विक्ण को मार डाह्ा। श्वन्ति देश के राजपुत्र मदारथी दोनों भाई विन्द श्रौर अरनुविन्द युद्ध में ,खूब लड़े घोर दुष्कर कर्म करके श्रन्त में मारे गये । सिन्धु श्रादि दस राष्ट्र जिनकी झ्राज्ञा का पालन करते थे श्रौर जो श्रापके कह्दे पर चलते थे, उन महावीर जयद्रश को श्रकेशते अजुन ने तीकण बाणों से, ग्यारह झक्षौहिशी सेना को जीतकर, मार डालता । पिता की आज्ञा साननेवाले, दुयोधन के पुत्र, मनस्तो युद्धदुर्मद को भ्रमिमन्यु ने मारा ।. युद्ध में प्रचण्ड रूपवाले शूर दुःशासन के पुन्न को द्रौपदी के पुत्र ने मार डाला ।.. समुद्र के अनूप प्रदेश में रहनेवाले किरातों के स््रामी, धर्मात्मा, इन्द्र के झादरपात्र सखा धार क्षत्रिय-धर्म में निरत राजा भगदत्त को श्रजुन ने पराक्रमपू्वक मार गिराया । महायशस्व्री वीर भूरिश्रवा ने जब शख्र रख दिये तब यादव सात्यकि ने इनको सार डाला । झापके पुत्र, सदा अमपपूर्ण रहनेवालले, झख-विद्या में निषुंण, युद्धदुमंद, दुःशासन को भीमसेन ने ब्तपूर्वक सार डाला । कई हज़ार हाथियों की श्रदुभुत सेना साथ रखनेवात्े राजा सुदक्षिय को अजुन ने यमपुर पहुँचा दिया। कोसल देश के राज़ा ने बहुत से शत्रु याद्धाओं को मारा श्रौर अन्त को उन्हें झभिमन्यु ने बलपूर्वक मार डाला । बहुत देर तक लड़- रे७१४ है: न््च् २०




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now