प्रेत और छ्या | Pret Aur Chhaya

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Pret Aur Chhaya by इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला परिच्छेद युक्तप्रान्त के किसी विख्यात शहर के एक कुख्यात होटल में पॉच व्यक्ति दूसरी मज़िल के एक एकान्त कमरे में एक टेप्रिल को घेरकर बैठे हुए मोजन-पान में रत थे । प्राय: श्राठ बजे रात का समय था । वे लोग पान ाधिक कर रहे थे श्रौर भोजन कम | पॉचों व्यक्ति एक-दूमरे से भली मॉति परिचित थे । बल्कि यह कहना श्रनुचित न होगा कि पॉचों मित्र थे । उनमें से जो महदाशय उम्र में सबसे बड़े दिखाई देते थे उनका नाम था प्रोफ़ेसर दरिराम वर्मा । वह किसी एक हाई स्कूल में श्रध्यापक थे । बड़े मिल्लनसार थे श्रौर अपने विद्यार्थियों के साथ इस भाव से मिलते थे जैसे वह स्वर्य एक विद्यार्थी हों। उनके मित्रों ने आदराथ उनके नाम के शागे पप्रोफेसर' शब्द जोड़ दिया था । उनकी उम्र पैँतालीस वर्ष के लग- मग होगी । वह एक मटठमैले रग का सूट श्रौर प्रायः उसी रंग की ठाई पहने थे । जिस व्यक्ति के साथ वह बातें कर रहे थे वह एक गोरे रंग का; कुछ दुबला-सा, सुदशन युवक था उसके सिर के काले श्र घुधराले बाल बहुत घने श्रौर कुछ बड़े दिखाई देते थे। ऐसा जान पड़ता था कि , कम से कम दो मद्दीने से उसने बाल नहीं कटाए होंगे। उसके बाल काफी घने दिखाई देते थे । उसकी श्ॉखों को श्रमिव्यजना में एक प्रकार, की मावमग्रता का-सा श्ामास सब समय भलकता रहता था । सबे मिलाऊर उसका व्यक्तित्व विशेष प्रभावोत्यादक लगता था; जो दशकों की दृष्टि को बहुत जल्दी झ्पनी ओर श्ाकर्षित कर लेता था 1 युवक का नाम पारसनाथ था | उसके मित्रों को मालूम था कि बह चित्रकारी किया करता है, हालॉकि उसने




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